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नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह के खास मौके पर सीएम नीतीश ने कहा ‘हमेशा ज्ञान की भूमि रही है नालंदा’

राजगीर 19 जून 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। नालंदा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले नालंदा विश्वविद्यालय की पुरानी धरोहर को करीब से देखा। इसके बाद वे यहां से नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस में पहुंचे, जहां उन्होंने बोधि वृक्ष लगाया और फिर नए कैंपस का उद्घाटन किया। उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार, केन्द्रीय विदेश मंत्री  एस० जयशंकर समेत 17 देशों के मिशन प्रमुख भी मौजूद रहे।

आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि आज नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया जा रहा है। वे पहली बार राजगीर पधारे हैं। मैं उनका तहेदिल से स्वागत करता हूं। साथ ही राज्यपाल, विदेश मंत्री एवं सभी अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। प्रधानमंत्री ने पौराणिक नालंदा विश्वविद्यालय का पूरा भ्रमण करके देखा है। आपने देखा कि पुराने विश्वविद्यालय का कैंपस कितना बड़ा था। पुराने समय में आसपास के 20-25 कि०मी० तक के गांव यहां से जुड़े रहते थे। नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली था। इसकी पहचान ज्ञान के केंद्र के रूप में होती थी। प्राचीन काल में यहां 10 हजार छात्र पढ़ते थे और 2 हजार शिक्षक हुआ करते थे। देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों के लोग यहां पढ़ते थे। चीन, जापान, श्रीलंका, तिब्बत और एशिया के अनेक देशों से लोग यहां पढ़ने आया करते थे। 1200 ई0 में यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमलोगों को वर्ष 2005 के नवंबर से काम करने का मौका मिला तब से हमलोग बिहार के विकास के लिए कई काम कर रहे हैं जिसमें नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करना भी था। मार्च, 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्व० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम बिहार आए थे तब उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात कही थी। उसी समय से हमलोगों ने नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करने की पहल शुरू की और इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया लेकिन किसी कारणवश कार्य में विलंब होने पर राज्य सरकार ने इसके लिए नया कानून बनाया और विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना के लिए 455 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। वर्ष 2008 में डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम जी प्रथम विजिटर के रूप में दोबारा नालंदा विश्वविद्यालय आए और वहां हो रहे कामों को देखा। वर्ष 2010 में हमारे अनुरोध पर लोकसभा में इसके लिए एक बिल पारित किया गया। राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण कर केंद्र सरकार को सौंप दिया। काम धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया और वर्ष 2014 से आंशिक रूप से यहां पढ़ाई शुरू हो गई। वर्ष 2014 में ही देश में श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार बनी और फिर नालंदा विश्वविद्यालय का काम काफी तेजी से होने लगा। वर्ष 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्व० प्रणव मुखर्जी ने इसका शिलान्यास किया। आज यह देखकर मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है कि नालंदा विश्वविद्यालय पूरी तरह से कार्यरत् हो गया है। वर्तमान में यहां 17 देशों के 400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत् हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आज आदरणीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के द्वारा संपूर्ण कैंपस का उद्घाटन किया जा रहा है, इसके लिए हम उनका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। राजगीर सबसे पौराणिक जगह है। राजगीर मगध साम्राज्य की पहली राजधानी थी। पहले इसे राजगृह कहा जाता था। बाद में राजधानी यहां से पटना शिफ्ट कर दिया गया था। राजगीर पांच धर्मों का संगम स्थल है। बौद्ध धर्म के भगवान बुद्ध वेणुवन में रहते थे। जैन धर्म के भगवान महावीर का यहां से सीधा संबंध है, सबसे ज्यादा उन्हीं लोगों का यहां मंदिर है। सिख धर्म के गुरु गुरुनानक देव जी यहां आए थे। यहां पर शीतल कुंड का निर्माण करवाया गया। मुस्लिम धर्म के सूफी संत मखदूम साहब को यहीं पर ज्ञान प्राप्त हुआ था। उसके बाद वे बिहारशरीफ चले गए थे। हिंदू धर्म का यहां काफी महत्व है। हर तीसरे वर्ष यहां पर मलमास मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि उस समय यहां पर 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। वर्ष 2023 में 3 करोड़ से ज्यादा लोग मलमास मेले में आए थे। यहां पर गर्म कुंड है जहां बड़ी संख्या में लोग स्नान करने आते हैं। हम बचपन में यहां पर आते थे, हमारे पिताजी भेजते थे और आज भी हम यहां आते हैं तो नहाते हैं। आज आप आए हैं और भविष्य में भी जरूर आइएगा, इस जगह का काफी महत्व है। करोड़ों वर्ष पुराने पहाड़ और जंगलों से राजगीर घिरा हुआ है। इन पहाड़ियों में जड़ी-बूटियों का भंडार है। हमलोगों ने यहां पर काफी वृक्षारोपण कराया है। राजगीर में इको टूरिज्म, पांडू पोखर और घोड़ा कटोरा का विकास किया गया है। ग्लास ब्रीज, जू-सफारी और नेचर सफारी सहित अन्य जगहों को विकसित किया गया है। पर्यटन के लिहाज से भी इस जगह का काफी महत्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इस उदघाटन समारोह में पधारने के लिए बधाई देते हैं। आपके आने से हमें बहुत खुशी हुयी है। इसके लिए आपका अभिनंदन करता हूं। सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं तथा धन्यवाद देता हूं। केंद्र सरकार बेहतर तरीके से काम कर रही है और काम को आगे बढ़ा रही है। पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर आसपास के गांवों को विश्वविद्यालय से फिर से जोड़ा जाए। बच्चे बच्चियों को भी बड़े पैमाने पर विश्वविद्यालय में शामिल कीजिए। इसके विस्तार में अगर राज्य सरकार की मदद की जरूरत पड़ेगी तो हमलोग पूरी तरह से इसके लिए तैयार हैं। जिलाधिकारी भी इसकी मॉनिटरिंग करते रहेंगे और देखते रहेंगे, जो जरूरत होगी उसको पूरा किया जाएगा।

इस अवसर पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, केन्द्रीय विदेश मंत्री  एस० जयशंकर, विदेश राज्य मंत्री  पबित्रा मार्गेरेटा, उप मुख्यमंत्री  सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री  विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन मंत्री एवं नालंदा जिले के प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री  श्रवण कुमार, सांसदगण, विधायकगण, विधान पार्षदगण, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अरविंद पनगढ़िया, नालंदा विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो० अभय कुमार सिंह, नालंदा विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्राओं समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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