HomeRegionalBiharनालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर...

नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ शुरू

नव नालंदा महाविहार नालंदा में गुरु पद्मसंभव पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ शुरू। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया उदघाटन। कई देश के बौद्ध विचारक हुए शामिल।

नव नालंदा महाविहार, नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), नई दिल्ली द्वारा नव नालंदा महाविहार, नालंदा के सहयोग से नालंदा में बुधवार (28 अगस्त 2024) को शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने डीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मौक़े पर लुम्बिनी विकास ट्रस्ट के उपाध्यक्ष आदरणीय खेंपो चिमेड और भूटान के केंद्रीय मठ निकाय के रॉयल भूटान मंदिर के सचिव/मुख्य भिक्षु परम आदरणीय खेंपो उग्येन नामग्याल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मौके पर राज्यपाल ने प्रोफेसर उमाशंकर व्यास द्वारा संपादित हिंदी-पाली शब्दकोश के आधिकारिक विमोचन की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बौद्ध धर्म के प्रसार में गुरु रिनपोछे के योगदान और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बुद्ध के बाद यह गुरु रिनपोछे ही हैं जिन्होंने बुद्ध धम्म के प्रचार-प्रसार में सबसे बड़ा योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमें जो दिया है, उसे हमें आगे ले जाना चाहिए। अहिंसा और शांति का संदेश पूरे विश्व में फैलाया जाना चाहिए और उनके सिद्धांतों का हमें प्रचार करना चाहिए। राज्यपाल ने यह भी उल्लेख किया कि बुद्ध और गुरु रिनपोछे दोनों ने निस्वार्थ तरीके से दूसरों के कल्याण के लिए सेवा की और हमें भी दूसरों की सेवा करने की इच्छा के साथ जीवन में ऐसा ही दृष्टिकोण रखना चाहिए।महासचिव, आईबीसी ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद महानिदेशक आईबीसी और मुख्य अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। आईबीसी द्वारा पवित्र अवशेषों की थाईलैंड यात्रा को प्रदर्शित करते हुए एक लघु फिल्म प्रस्तुत की गई, जिसमें राज्यपाल ने भी भाग लिया था।

वहीं, आईबीसी के महासचिव ने वज्रयान परंपरा की स्थापना में गुरु रिनपोछे के योगदान की ओर ध्यान दिलाया। आईबीसी के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने इस बात पर जोर दिया कि गुरु रिनपोछे करुणा, ज्ञान और परिवर्तनकारी शक्ति के व्यक्ति थे और “उन्होंने मानव मन को सर्वोत्तम संभव तरीके से समझा”। वर्तमान समय में गुरु के बारे में बहुत कम जानकारी है और सम्मेलन ने एक दुर्लभ अवसर प्रस्तुत किया है जहां गुरु के जीवन और विरासत को मीडिया द्वारा कवर किया जाएगा, आईबीसी के महानिदेशक ने निष्कर्ष निकाला।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments