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सुरक्षित गर्भपात करने में सारण राज्य में तीसरे स्थान पर

सुरक्षित गर्भपात करने में सारण जिला राज्य स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। उत्कृष्ट योगदान के लिए जिले को राज्य स्तर पर सम्मान मिला है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस पर राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा पटना में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान दिया गया है।

छपरा 29 सितम्बर 2024। सुरक्षित गर्भपात करने में सारण जिला राज्य स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। उत्कृष्ट योगदान के लिए जिले को राज्य स्तर पर सम्मान मिला है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस पर राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा पटना में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान दिया गया है। जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा “अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस” के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में राज्य के सभी प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारियों, सिविल सर्जनों, मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्षों, मास्टर ट्रेनर्स, आशा कार्यकर्ताओं और विकास साझेदारों ने भाग लिया।कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. सरिता, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृत्व कोषांग ने किया, जिन्होंने बिहार के गर्भपात परिदृश्य पर जानकारी साझा की। सुरक्षित गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भावस्था को चिकित्सकीय तरीके से समाप्त किया जाता है, जिससे महिला के स्वास्थ्य और जीवन को खतरा नहीं होता। यह प्रक्रिया योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा की जाती है और इसके लिए उचित चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। सुरक्षित गर्भपात से न केवल महिला के स्वास्थ्य की सुरक्षा होती है, बल्कि यह असुरक्षित गर्भपात के परिणामस्वरूप होने वाली जटिलताओं और मातृ मृत्यु को भी कम करता है। जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षित गर्भपात की सेवाओं के बारे में जानकारी मिलना आवश्यक है।

राजेश कुमार, प्रशासी पदाधिकारी ने एमटीपी एक्ट 1971 की आवश्यकता और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया। एमटीपी एक्ट 1971 की आवश्यकता मुख्य रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा के लिए है, ताकि उन्हें सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिल सके। इस कानून के जरिए असुरक्षित गर्भपात की घटनाओं को कम किया जा सकता है, जो अक्सर मातृ मृत्यु का कारण बनती हैं। सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत इसलिए है ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जानें, सुरक्षित गर्भपात सेवाओं का उपयोग कर सकें, और स्टीग्मा का सामना न करना पड़े। जागरूकता से ही सही जानकारी और संसाधनों तक पहुंच संभव होती है।

डॉ. अविनाश कुमार, अपर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएँ, बिहार सरकार ने बताया कि असुरक्षित गर्भपात के कारण भारत मंर मातृ मृत्यु दर का 8% हिस्सा है और इस पर नियंत्रण पाने के लिए बिहार सरकार प्रतिबद्ध है। आइपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के बिहार राज्य निदेशक तफसीरुल मजाहिर ने सुरक्षित गर्भपात की स्थिति पर प्रस्तुति दी। डॉ. रानू सिंह ने एमटीपी संशोधन अधिनियम 2021 एवं 2024 पर जानकारी साझा की, जबकि डॉ. ऋचा झा ने सुरक्षित गर्भपात सेवा व्यवस्था पर अपने अनुभव साझा किए।

कार्यशाला में बिहार के सभी जिलों में सुरक्षित गर्भपात कार्यक्रम में उत्कृष्टता दिखाने वाले पांच जिलों को पुरस्कृत किया गया। इसमें बांका को पहला, पटना को दूसरा, सारण को तीसरा, बक्सर को चौथा और वैशाली को पांचवां स्थान मिला। युक्ति योजना के अंतर्गत बिहार में संचालित प्रत्यायिक निजी स्वास्थ्य संस्थानों में से भी पांच संस्थानों को सम्मानित किया गया, जिसमें शिवम सेवा संस्थान (सीतामढ़ी) को पहला स्थान मिला। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों के सवालों के जवाब दिए गए और धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। यह कार्यशाला सुरक्षित गर्भपात के प्रति जागरूकता फैलाने और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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