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शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन आरा की अधिष्ठात्री देवी के मंदिर में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

आरण्य देवी के दर्शन के लिए भक्तों का उमड़ा जनसैलाब। शाम में महिलाओं और युवतियों ने माता के मंदिर में जलाए दीप। आरा शहर की अधिष्ठात्री देवी है मां आरण्य देवी।

शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। पूजन करने के लिए मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी रही। आरा शहर की अधिष्ठात्री देवी मां आरण्य देवी के मंदिर में पूजन एवं दर्शन को लेकर गुरुवार की अहले सुबह से ही महिला-पुरुष श्रद्धालु भक्तों का जनसैलाब उमड़ पडा। लोग देवी दर्शन के लिए कतार में खड़े दिखे। मां आरण्य देवी की मूर्ति एवं मंदिर परिसर को आकर्षक ढ़ंग से सजाया गया है। ‘आरण्य देवी मैया की जय’ तथा ‘सच्चे दरबार की जय’ के जयकारे से पुरा वातावरण गुंजायमान रहा।

मां अरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा माता के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। जिसमें सभी ट्रस्टी बंधुओ ने भाग लिया। शाम में महिलाओं और युवतियों ने माता के मंदिर में दीप जलाया। दीप जलाने का सिलसिला शाम 4 बजे से संध्या 8 बजे तक चलता रहा। 8 बजे मां आरण्य देवी की संध्या आरती हुई। इस दौरान मां को मेवा, दूध से निर्मित खीर का भोग लगाया गया। आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण श्रद्धालु भक्तों में हुआ।

बता दें कि आरा का आरण्य देवी का मंदिर सिद्धपीठ है। ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में यहां पांडवों ने देवी का दर्शन किया था। उस समय आरा शहर आरण्य वन के नाम से मशहूर था। इस मंदिर सालों भर श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। चैत्र तथा शारदीय नवरात्र में यहां तिल रखने की जगह नहीं होती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पशु बलि नहीं दी जाती है। बल्कि मां को नारियल चढ़ाया जाता है।

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