बेतिया जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने आज कृषि विज्ञान केन्द्र, माधोपुर में 15 दिवसीय समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया। कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉक्टर अभिषेक प्रताप सिंह ने जिलाधिकारी का स्वागत अंग वस्त्र एवं पुष्पगुच्छ देकर किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर की उपलब्धियों के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र, माधोपुर ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए कई नवीन तकनीकों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है जिसमें मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक सिफारिशें, टिकाऊ कृषि प्रणाली, जैविक खेती, और फसल विविधीकरण आदि शामिल है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि केंद्र के प्रयासों से क्षेत्रीय किसानों में पोषक तत्व प्रबंधन और जैविक संसाधनों के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी, दिनेश कुमार राय ने कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर का दौरा किया और मशरूम स्पॉन उत्पादन इकाई, फसल कैफेटेरिया, कम लागत वाले शेड नेट संरचना और केंद्र द्वारा विकसित एकीकृत कृषि प्रणाली (आइएफएस) मॉडल का अवलोकन किया। मशरूम स्पॉन उत्पादन इकाई को देखते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि इस प्रकार की उन्नत तकनीकें न केवल स्थानीय किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगी। मशरूम उत्पादन के लिए गुणवत्तापूर्ण स्पॉन की उपलब्धता किसानों के लिए महत्वपूर्ण है और इस दिशा में कृषि विज्ञान केन्द्र, माधोपुर का प्रयास सराहनीय है।
जिलाधिकारी ने फसल कैफेटेरिया में विभिन्न फसल किस्मों और उनके प्रबंधन पर चर्चा की। उन्होंने फसल विविधता और उत्पादन के प्रदर्शन को किसानों के लिए ज्ञानवर्धक बताया। इसके साथ ही केंद्र द्वारा विकसित आईएफएस (इन्ट्रीगेटेड फार्मिंग सिस्टम) मॉडल का अवलोकन किया, जो एकीकृत कृषि पद्धति के अंतर्गत विभिन्न कृषि घटकों (फसल, पशुपालन, मछली पालन, बागवानी आदि) का उपयोग कर अधिकतम लाभ सुनिश्चित करता है।
जिलाधिकारी का किसानों से संवादः
जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले किसानों से संवाद किया और उन्हें संतुलित उर्वरक उपयोग और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इनपुट डीलरों द्वारा उर्वरकों की सिफारिश मृदा परीक्षण के आधार पर होनी चाहिए, ताकि खाद के संतुलित और सही उपयोग से कृषि उत्पादकता बढ़ सके। साथ ही उन्होंने किसानों को जैविक विधियों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया।
जिला कृषि पदाधिकारी ने समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के महत्व के बारे में बताते हुए कहा की समेकित पोषक तत्व प्रबंधन (आइएनएम) एक अत्याधुनिक कृषि प्रणाली है, जो मृदा की उर्वरता और पौधों के संतुलित पोषण के सिद्धांत पर आधारित है। यह विधि रासायनिक उर्वरकों, जैविक उर्वरकों और हरी खाद का समन्वय कर कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ मृदा की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाती है। उन्होंने आगे बताया की इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे प्रतिभागियों को उर्वरकों के सही और संतुलित उपयोग के साथ मृदा परीक्षण आधारित सिफारिशों की जानकारी दी जयेगी।
प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र, माधोपुर के वैज्ञानिकों ने मृदा परीक्षण की प्रक्रिया, उर्वरक उपयोग के मापदंड, और फसल प्रबंधन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी। विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि कैसे जैव उर्वरक, ग्रीन मैन्योर और रासायनिक उर्वरकों का समन्वय मृदा की उर्वरकता को बनाए रखता है और पर्यावरण अनुकूल तरीके से कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही, सत्र में पोषक तत्वों के प्रभावी उपयोग और फसल उत्पादन में वृद्धि के विभिन्न उपायों पर भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर के प्रांगण में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण को बल दिया। धन्यवाद ज्ञापन में वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, डॉ आर पी सिंह ने सभी अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए और ऐसे आयोजन के लिए सभी वैज्ञानिक कर्मचारी को धन्यवाद देकर किया। मंच का संचालन सौरभ दुबे द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी, प्रवीण कुमार राय, विशेष कार्य पदाधिकारी, जिला गोपनीय शाखा, सुजीत कुमार, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ चेलपुरी रामुलु, डॉ हर्षा और अन्य कर्मचारी आदि उपस्थित थे।