उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जल संकट मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार को दिल्ली और हिमाचल प्रदेश सरकार के कथित ढीले रवैये पर उनकी जमकर खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार ‘टैंकर माफिया’ को नियंत्रित करने में विफल रही, जिसकी वजह से भीषण गर्मी से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी में पानी संकट की स्थिति बनी हुई है। अदालत दिल्ली पुलिस को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कह सकती है।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ दिल्ली सरकार से पानी की कमी को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों के बारे में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश द्वारा दिल्ली को पानी की आपूर्ति के संबंध में छह जून को पारित अपने आदेश के अनुपालन पर विचार करने के दौरान ये टिप्पणियां की। पीठ ने पहले 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की उपलब्धता का दावा करने और बाद में यह कहने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की भी खिंचाई की कि पानी पहले ही बैराज में बह चुका है।
न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता से कहा, “हमने पहले दिए गए बयान के आधार पर आदेश पारित किया। हम (इस मामले में संबंधित) अधिकारी को सीधे जेल भेजेंगे।” पीठ ने हिमाचल प्रदेश के अधिवक्ता से कहा, “अगर आप पहले से ही पानी छोड़ रहे और यह हिमाचल प्रदेश से आ रहा, तो गलत बयान क्यों दिया जा रहा है।”
शीर्ष अदालत ने वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पूछा, “आपने टैंकर माफिया के खिलाफ क्या कदम उठाए, जिन्होंने पानी पी लिया और निगल लिया। लोग पीड़ित हैं। हम हर चैनल में दृश्य देखते हैं। हानि या चोरी की जांच के लिए कोई कार्रवाई की या एफआईआर दर्ज की?” इस पर श्री सिंघवी ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस इस मामले में कार्रवाई करती है तो उन्हें खुशी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनमें से कुछ टैंकर दिल्ली जल बोर्ड के हैं, जिनका इस्तेमाल प्रभावित इलाकों में पानी की आपूर्ति के लिए किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा।पीठ के समक्ष हरियाणा सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, 52.35 प्रतिशत पानी का नुकसान हुआ है। सिंघवी ने अपनी ओर से आरोप लगाया कि हरियाणा अपने दृष्टिकोण में बहुत बाधाकारी रहा है। उन्होंने दावा किया, ‘भारत में कोई भी राज्य हरियाणा जितना अवरोधक नहीं है।’
शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक रिट याचिका पर कार्रवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली में गंभीर संकट और मौजूदा गर्मी की स्थिति के मद्देनजर पीने के पानी की आवश्यकता के लिए उसके पास उपलब्ध 137 क्यूसेक अधिशेष पानी जारी करे।