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नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व ‘छठ’, पवित्र स्नान और जलभरी को नदी घाटों पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब 

 

छपरा 25 अक्टूबर: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ आज नहाय-खाय के साथ श्रद्धा, पवित्रता और उल्लास के वातावरण में आरंभ हो गया है। नदी घाटों, तालाबों और घर-आंगनों में आज से ही पूजा-पाठ, सफाई और प्रसाद की तैयारी में लोग जुट गए हैं।

नहाय-खाय: पर्व की पवित्र शुरुआत

छठ व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जब व्रती शुद्धता और संयम के साथ स्नान कर अरवा चावल, कद्दू और चने की दाल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसे आत्म-शुद्धि और उपवास की प्रथम सीढ़ी माना जाता है। इस दिन घरों में विशेष पवित्रता का ध्यान रखा जाता है — चूल्हा-चौका से लेकर बर्तन तक, सब कुछ साफ और नवीन।

तीन दिनों तक भक्ति और उत्सव

  • 26 अक्टूबर दूसरा दिन: खरना का अनुष्ठान, जिसमें गुड़ और दूध से बनी खीर का प्रसाद अर्पित कर व्रती 36 घंटे के निराहार उपवास में प्रवेश करेंगे।
  • 27 अक्टूबर तीसरा दिन: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य।
  • 28 अक्टूबर चौथा दिन: उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन।

सुरक्षा, स्वच्छता और व्यवस्थाएँ

जिला प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा, स्वच्छता और प्रकाश की विशेष व्यवस्था की है। नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई, बैरिकेडिंग और लाइटिंग का कार्य पूर्ण किया गया है। एनडीआरएफ और गोताखोर टीमों की तैनाती भी की गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

छठ: लोक जीवन और संस्कृति का प्रतीक

छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोक जीवन से जुड़ा ऐसा पर्व है जो परिवार, प्रकृति और समाज को एक सूत्र में पिरोता है। सूर्योपासना के माध्यम से यह पर्व कृतज्ञता, अनुशासन और पर्यावरण संतुलन का संदेश देता है।

घाटों का नजारा

छपरा के सतीघाट, काशी बाजार घाट, भगवान बाजार घाट सहित ग्रामीण अंचलों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। सूर्यास्त के समय छठी मैया के गीतों से वातावरण भक्ति और भावनाओं से सराबोर है।

 

(विशेष फीचर रिपोर्ट, लोक आस्था पर केंद्रित)

 

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