पटना, 10 अगस्त, 2025: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने मतदाता सूची में ‘वोटर लिस्ट घोटाला’ के साथ ‘उम्र घोटाला’ भी किया है। तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि इस मामले में कार्रवाई कब होगी।
अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने दावा किया कि उनके शोध में यह बात सामने आई है कि विजय सिन्हा का नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज है। इतना ही नहीं, दोनों जगहों पर उनकी उम्र भी अलग-अलग है।
तेजस्वी के अनुसार:
* मुंगेर लोकसभा के लखीसराय विधानसभा क्षेत्र (भाग संख्या 168) में विजय सिन्हा का नाम 57 वर्ष की उम्र के साथ दर्ज है।
* वहीं, पटना साहिब लोकसभा के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र (भाग संख्या 182) में उनका नाम 60 वर्ष की उम्र के साथ दर्ज है।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि दो अलग-अलग जिलों में दो इपिक नंबर और दो तरह की उम्र का होना चुनाव आयोग की मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि जब उपमुख्यमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के नाम में इतनी गड़बड़ी है, तो यह पूरे एस.आई.आर (Special Intensive Revision) की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
तेजस्वी ने कहा कि विजय सिन्हा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं, का दोनों जगहों पर नाम होने के बावजूद चुनाव आयोग खामोश है। उन्होंने आरोप लगाया कि विजय सिन्हा ने दोनों जगहों पर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फॉर्म पर हस्ताक्षर किए होंगे, जो एक गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के मामले में चुनाव आयोग तुरंत कार्रवाई करता है और मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है, तो उपमुख्यमंत्री के मामले में इतनी देरी और चुप्पी क्यों है?
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि हाल ही में 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी बूथवार और ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इस संबंध में कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन आयोग इन शिकायतों को मानने से इनकार कर रहा है।
तेजस्वी ने मीडिया से इस मामले में सच्चाई दिखाने की अपील करते हुए कहा कि यह सिर्फ उनकी लड़ाई नहीं, बल्कि 65 लाख मतदाताओं के अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए वे इस लड़ाई को सदन, सड़क से लेकर न्यायालय तक ले जाएंगे।