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लिथुआनियाई फिल्म निर्माता ऑड्रियस स्टोनीस ने 18वें एमआईएफएफ में वृत्तचित्र निर्माण के वास्तविक सार को बताया

वास्तविकता से ज़्यादा नाटकीय कुछ भी नहीं है; यह अपने आप में दिलचस्प है। डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए वास्तविकता ही एकमात्र कुंजी है," लिथुआनियाई संगीत और रंगमंच अकादमी के प्रसिद्ध प्रोफ़ेसर, फ़िल्म निर्देशक और निर्माता ऑड्रियस स्टोनीस ने कहा। उन्होंने आज 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में अपने सत्र 'प्रेरक कहानियाँ: मौलिकता और सरलता' के दौरान अपने विचार साझा किए।

“वास्तविकता से ज़्यादा नाटकीय कुछ भी नहीं है; यह अपने आप में दिलचस्प है। डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए वास्तविकता ही एकमात्र कुंजी है,” लिथुआनियाई संगीत और रंगमंच अकादमी के प्रसिद्ध प्रोफ़ेसर, फ़िल्म निर्देशक और निर्माता ऑड्रियस स्टोनीस ने कहा। उन्होंने आज 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में अपने सत्र ‘प्रेरक कहानियाँ: मौलिकता और सरलता’ के दौरान अपने विचार साझा किए।

डॉक्टर ऑफ आर्ट्स और लिथुआनियाई राष्ट्रीय संस्कृति और कला पुरस्कार प्राप्तकर्ता ऑड्रियस स्टोनीस ने अपने काम के लिए अंतरराष्ट्रीय  प्रशंसा प्राप्त की है। उनकी डॉक्यूमेंट्री “अर्थ ऑफ द ब्लाइंड” 1992 में यूरोपीय फिल्म अकादमी द्वारा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ यूरोपीय डॉक्यूमेंट्री मानी गई थी। 1989 से, स्टोनीस ने 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त रचनात्मक वृत्तचित्र और 400 से अधिक टीवी वृत्तचित्र बनाए हैं।

डॉक्यूमेंट्री और फिल्म के शौकीनों को संबोधित करते हुए स्टोनीस ने फिल्म निर्माण में रचनात्मकता और विशिष्टता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविकता किसी भी का मूल आधार और सार है। फिल्म निर्माताओं को अद्वितीय कहानियों और नवीन तकनीकों के साथ वास्तविकता को प्रस्तुत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने आगे बताया कि जब कोई निर्देशक किसी के जीवन पर फिल्म बनाता है, तो वह वास्तव में अपने जीवन के अनुभवों पर आधारित खुद के बारे में फिल्म बना रहा होता है। अगर निर्देशक इस प्रयास में सफल होता है, तो दर्शकों को लगेगा कि फिल्म उनके अपने जीवन को दर्शाती है, इसलिए उनकी भावनाओं को गहराई से छूती है।

स्टोनिस ने फिल्म निर्माताओं को सलाह दी कि वे अपनी फिल्मों में बिना कुछ कहे ही सब कुछ बता दें। उन्होंने कहा, “आपकी फिल्म का हर फ्रेम बोलना चाहिए। यह आपके जीवन को उसी तरह प्रभावित करना चाहिए जैसे संगीत करता है, चाहे वह किसी भी भाषा का हो।”

 

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