नालंदा 28 अगस्त 2024। नालंदा स्थित नव नालंदा महाविहार में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा नव नालंदा महाविहार में गुरु पद्मसंभव पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका सहित अन्य देशों के विद्वान भाग ले रहे है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आज पूरे विश्व में युद्ध की स्थिति है, ऐसे में भगवान बुद्ध और गुरु पद्मसंभव के विचार एवं उनके सिद्धांत पर चलने की जरूरत है। सम्मेलन में गुरु पद्मसंभव के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मंथन भी किया जाएगा।
इस सम्मेलन का मुख्य थीम उनके जीवन और शिक्षाएं, हिमालय में उनकी यात्राएं और सबसे महत्वपूर्ण, यह कि वे आज भी प्रासंगिक हैं। गुरु पद्मसंभव, गुरु रिन्पोछे के रूप में जाने जाते हैं, जो प्राचीन भारत की आठवीं सदी के हैं। आज भी बुद्ध धर्म में ये पूजनीय हैं। उन्हें बौद्ध धर्म के वज्रयान संप्रदाय की स्थापना और पूरे हिमालय क्षेत्र और तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है।