बिहार ब्रेकिंग डेस्क
बेगुसराई बरौनी प्रखंड के रूपनगर गांव के सेवानिवृत्त प्रखंडकर्मी राम लखन रजक की बड़ी बेटी डॉ सोनाली कुमारी का बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के द्वारा राज्य के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विषय के सहायक प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ है। इन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता – पिता, भाई-बहन, पति एवं पूरे परिवार को दिया।
डॉ सोनाली के पति डॉ नवल कुमार हाजीपुर स्थित देवचंद महाविद्यालय में इतिहास विषय के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष हैं। वे देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से अपनी पढ़ाई किया है। अपने पति के मार्गदर्शन में इन्होंने अपनी साक्षात्कार की तैयारी की है। तैयारी के दरम्यान पति ने इन्हें हरकदम पर साथ दिया है। घर में ढाई साल की बेटी निया है। बड़े भाई रजनीश कुमार भारती भेल, हरिद्वार में मैनेजर ने पद पर हैं। मंझले भाई नवनीत कुमार भारती स्टेट जीएसटी में उप- आयुक्त के पद पर है। भाभी कुमारी आरती बिहार प्रशासनिक सेवा में है। छोटा भाई अजित कुमार भारती, दो छोटी बहन अमृता व अंशु अभी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।
डॉ सोनाली ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव के रामधारी सिंह दिनकर हाई स्कूल सिमरिया से प्रारंभ किया तथा उच्च शिक्षा पटना विश्वविद्यालय, पटना से किया। उन्होंने अपनी पीएचडी की पढ़ाई मनोविज्ञान विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से प्रो (डॉ) आई के रॉय के कुशल निर्देशक में किया है। मैट्रिक से लेकर परास्नातक तक ये प्रथम श्रेणी से पास की हैं। वर्तमान में ये गेस्ट फैकल्टी के रूप में मगध महिला महाविद्यालय, पटना में कार्यरत हैं।
चयन के बाद अपने अनुभव को बताते हुए डॉ सोनाली ने कहा कि मनोविज्ञान विषय के सहायक प्रोफेसर बनने के लिए कठिन परिश्रम और अपार धैर्य रखने की जरुरत होती है। लेकिन अगर आप इसे योजनाबद्ध तरीके से करे तो सफलता हासिल करना आसान है। इसके लिए पहले आप स्नातक करे फिर मास्टर डिग्री करे उसके पश्चात पीएचडी करे। नेट की परीक्षा पास करे। आगे उन्होंने बताया कि महिलाओं के जीवन में लाखों संघर्ष है पर हारना नहीं है। संघर्ष के दरम्यान अपने धैर्य को बनाये रखना है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की प्रतिनिधित्व अभी भी काफी कम है। मैं प्रयास करूँगी कि अधिक से अधिक महिलाओं की सहभागिता इस क्षेत्र में बने। इसलिए छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करूँगी। जिस तरह मैंने ढाई साल की बेटी का पालन- पोषण करते हुए इस मुकाम को हासिल की है वैसे ही समाज की हर महिला को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।