छपरा 10 अगस्त 2025। फाइलेरिया, जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी कहते हैं, एक परजीवी जनित बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है। सही समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थायी विकलांगता का कारण बन सकती है। इसी चुनौती से निपटने के लिए सारण जिले के स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल की है। दिघवारा प्रखंड के पाँच आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म (रोगी हितधारक मंच) का गठन किया गया है।
सामुदायिक भागीदारी से मिलेगा फायदा
इस पहल का उद्देश्य फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है। यह मंच राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। इसका गठन संबंधित आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) की अध्यक्षता में हुआ है। स्थानीय पंचायत के मुखिया भी इसमें मार्गदर्शन करेंगे। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था इस पहल को तकनीकी सहयोग दे रही है।
इन पाँच केंद्रों पर हुई शुरुआत
यह प्लेटफॉर्म फिलहाल दिघवारा प्रखंड के इन पाँच आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में शुरू किया गया है:
* हराजी
* सैदपुर
* शीतलपुर
* बस्ती जलाल
* इस्मैला
कैसे काम करेगा यह प्लेटफॉर्म?
इस मंच में विभिन्न हितधारकों को शामिल किया गया है ताकि यह प्रभावी ढंग से काम कर सके।
* अध्यक्ष: संबंधित आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO)
* मार्गदर्शक: स्थानीय पंचायत के मुखिया
* सदस्य: वार्ड पार्षद, विकास मित्र, शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी, समाजसेवी और स्वयंसेवी।
मुख्य कार्य:
* फाइलेरिया के मरीजों की पहचान करना और उनकी ग्रेडिंग करना।
* मरीजों को 12 दिन की दवा और एमएमडीपी किट उपलब्ध कराना।
* नियमित फॉलो-अप के जरिए मरीजों की देखभाल सुनिश्चित करना।
* घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाना।
* संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छता और बचाव के उपाय बताना।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह के सामुदायिक प्लेटफॉर्म से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को गति मिलेगी और 2030 तक इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।