वैशाली, 29 जुलाई 2025: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज वैशाली जिले में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्मृति स्तूप के प्रथम तल पर मुख्य हॉल में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेषों के अधिष्ठापन कार्य एवं पूजा समारोह में भाग लिया। मंत्रोच्चारण के बीच प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं ने इन पवित्र अवशेषों को नव कक्ष में श्रद्धापूर्वक स्थापित किया।
इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने के लिए 15 देशों के प्रमुख बौद्ध भिक्षु और बौद्ध धर्मावलंबी उपस्थित थे। परम पावन दलाई लामा जी का लिखित संदेश भी इस दौरान पढ़ा गया। अधिष्ठापन के बाद, मुख्यमंत्री ने भू-तल पर स्थापित भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष पूजा-अर्चना कर राज्य की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
परियोजना का महत्व और मुख्यमंत्री के विचार
मुख्यमंत्री ने इस अवसर को बिहारवासियों के लिए “ऐतिहासिक और गौरव का पल” बताया। उन्होंने कहा कि वैशाली के मड स्तूप से प्राप्त भगवान बुद्ध के सबसे प्रामाणिक अस्थि अवशेषों को अब इसी स्तूप में रखा गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में वैशाली के दौरे के दौरान उन्हें यह विचार आया था कि यहां एक स्तूप का निर्माण किया जाए, जहां स्थानीय रूप से प्राप्त अस्थि अवशेषों को संग्रहित किया जा सके। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में इन अवशेषों का जिक्र किया है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप न केवल वैशाली को वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर स्थापित करेगा, बल्कि पर्यटन, संस्कृति और रोजगार को भी नई दिशा देगा। उन्होंने निर्माण कार्य की विशिष्टता और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से परिसर के बेहतरीन स्वरूप की सराहना की, जिससे पर्यटकों को सुखद अनुभव मिलेगा।
संग्रहालय और स्तूप की विशेषताएँ
72 एकड़ भूमि पर राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से निर्मित यह भव्य स्तूप बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और वैश्विक बौद्ध विरासत का प्रतीक है। परिसर में पुस्तकालय, संग्रहालय, तालाब, गेस्ट हाउस, एमपी थिएटर, कैफेटेरिया और बेहतर पार्किंग व्यवस्था भी है। 2019 में इसका शिलान्यास किया गया था।
मुख्यमंत्री ने परिसर में बोधगया के पवित्र बोधि वृक्ष के शिशु पौधे का रोपण भी किया। उन्होंने “मेकिंग ऑफ बुद्ध सम्यक संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप” दीर्घा का भी उद्घाटन किया, जहां भगवान बुद्ध के जीवन, कार्यकलापों और आध्यात्मिक संदेशों पर आधारित कलाकृतियों का अवलोकन किया जा सकता है। भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि ने मुख्यमंत्री को बताया कि परिसर में 500 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल स्थापित किया गया है, जो पूरे परिसर को सौर ऊर्जा से रोशन करेगा।
बौद्ध पर्यटन सर्किट और वैशाली का ऐतिहासिक महत्व
वैशाली एक ऐतिहासिक और पौराणिक भूमि है, जिसने दुनिया को पहला गणतंत्र दिया और नारी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां बौद्ध धर्मावलंबियों के संघ में पहली बार महिलाओं को शामिल किया गया।
राज्य सरकार ने भगवान बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। राजगीर के वेणुवन का सौंदर्गीकरण, गृद्धकूट पर्वत पर आने-जाने के मार्ग में सुधार, घोड़ा कटोरा में भगवान बुद्ध की 50 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण, और पटना में बुद्ध स्मृति पार्क एवं बुद्ध स्तूप का निर्माण इसी कड़ी में शामिल हैं।
बौद्ध पर्यटक स्थलों को एक सर्किट में जोड़ा गया है, जिससे बोधगया आने वाले पर्यटक राजगीर, पटना, वैशाली, केसरिया स्तूप, लौरिया नन्दन गढ़ होते हुए कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) तक जा सकते हैं।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा सहित कई मंत्रीगण, विधायकगण और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।