पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन द्वारा 23 नवंबर 2024 को बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) जो राज्य सरकार का नोडल प्रशिक्षण संस्थान है में उद्घाटित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज संपन्न हुआ। 23-24 नवंबर 2024 के इस ऐतिहासिक आयोजन में देश भर के प्रमुख न्यायविद, कानूनी विशेषज्ञ और वरिष्ठ प्रशासक एकत्रित हुए। प्रमुख प्रतिनिधियों में मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन (पटना उच्च न्यायलय), न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली (पटना उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह (पटना उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति डॉ अंशुमान (पटना उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल (मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति डॉ कौसर एडप्पगथ (केरल उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति डॉ के मन्मधा राव (आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति वेंकटा ज्योतिर्मयी प्रतापा (आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति तीर्थांकर घोष (कलकत्ता उच्च न्यायालय), न्यायमूर्ति डॉ संजीब कुमार पानीग्रही (उड़ीसा उच्च न्यायालय), और न्यायमूर्ति कराई। 500 नवनियुक्त सहायक अभियोजन पदाधिकारियों विनोद एस भारद्वाज (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय) साथ हीं बिहार के महाधिवक्ता पी के शाही ने भी इस अवसर पर उपस्थिति दर्ज ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन में भाग लिया।
अपने उद्घाटन भाषण में मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन ने इन परिवर्तनकारी कानूनों के अनुप्रयोग को बेहतर बनाने और चुनौतियों का समाधान करने में सामूहिक भागीदारी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि न्यायाधीशों, विधि विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति से समृद्ध दो दिवसीय चर्चा, नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी। सम्मेलन में प्रमुख राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कुलपति, पुलिस महानिदेशकों के कुलपति, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिव, जिला न्यायाधीश, और देश भर के अन्य न्यायिक गणमान्य व्यक्ति ने भाग लिया, 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र के उल्लेखनीय प्रतिनिधित्व के साथ, इस कार्यक्रम को एक सच्चा राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया गया। सम्मेलन का मुख्य केंद्र 1 जुलाई 2024 से प्रभावी तीन परिवर्तनकारी कानूनों BNNS, BNS और BSA के कार्यान्वयन और प्रारंभिक प्रभाव का मूल्यांकन करना था। इन कानूनों के द्वारा न्याय प्रणाली में तेजी लाने और आपराधिक न्याय ढांचे को नया रूप देने में उनके योगदान को समझने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में छह तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनकी अध्यक्षता उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों ने की और इसका संचालन प्रमुख विधि विश्वविद्यालयों के कुलपति ने किया।
जिला न्यायाधीशों के अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा कुल 13 प्रस्तुतियों के द्वारा इन कानूनों के पहले 120 दिनों के कार्यान्वयन के दौरान उत्पन्न चुनौतियों, अनुभवों और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला गया। इन तकनीकी सत्रों में BNNS, BNS और BSA के तहत प्रक्रियात्मक और परिचालन चुनौतियों पर चर्चा की गई, जिनमें संज्ञान, उद्घोषित अपराधी, अनुपस्थिति में न्यायिक प्रक्रिया, और गवाह सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल थे। इन सत्रों में सिविल सेवकों, पुलिस और न्यायिक अधिकारियों द्वारा साक्ष्य संकलन और गोपनीयता अनुपालन में आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन ने ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जिससे सभी सहभागी बदलते कानूनी परिदृश्य का सामना करने के लिए अधिक जागरूक और सशक्त होकर लौटे। सम्मेलन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार के महाधिवक्ता पी के शाही ने कहा कि BIPARD के निरंतर प्रयासों से न्यायपालिका, प्रशासन, जांच एजेंसियों और शैक्षिक संस्थाओं को एक साथ लाने के लिए किए गए निरंतर प्रयास सराहनीय हैं पाठक, महानिदेशक, ठप्च्।त्क् । उन्होंने BIPARD के महानिदेशक के के पाठक के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने सभी संबंधित पक्षों को एक मंच पर लाकर नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी और त्वरित क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो जनता को शीघ्र न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।