छपरा 25 जून 2024। आज प्रेम कुमार, मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में सारण के सभी जैव विविधता समितियों के साथ विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई । सारण जिले के मुख्यालय से विडियों कान्फ्रेंसिंग में वन प्रमंडल पदाधिकारी राम सुंदर एमo, जिला पार्षद अध्यक्ष श्रीमति जयमित्रा देवी एवं वनों के क्षेत्र पदाधिकारी बांके पासवान शामिल हुए। साथ ही जिले के अलग अलग प्रखंडों में भी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी कार्यालयों से प्रखण्ड के जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य एवं सचिव के साथ वन विभाग के वनरक्षी भी विडियों कान्फ्रेंसिंग में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में मंत्री द्वारा ग्राम पंचायतों, प्रखण्ड पंचायत समिति तथा जिला पर्षद में गठित ‘जैव विविधता प्रबन्धन समितियों को सम्बोधित किया गया।
सम्मेलन में सभी वन प्रमण्डल पदाधिकारी, सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विभाग के सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, बिहार तथा वरिष्ठ वन पदाधिकारी एवं बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद के अध्यक्ष एवं वरीय पदाधिकारी भी शामिल हुए।
जैव विविधता की भूमिका प्रकृति तथा पर्यावरण संरक्षण को विकास प्रक्रियाओं के साथ संतुलित करने में महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण के हितों को घरातल पर सुनिश्चित करने में स्थानीय पंचायती राज शासन की सक्रिय सहभागिता अनिवार्य है। इसी प्रयोजन से जैव विविधता अधिनियम 2002 के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत अद्यतन राज्य में 8058 ग्राम पंचायत, 534 प्रखण्ड, 38 जिला तथा 35 नगर निकायों में जैव विविधता प्रबन्धन समितियों का गठन कराया गया है।
प्रत्येक पंचायत में “जन जैव विविधता पंजी (People Biodiversity Register) का संधारण किया जाता है, जिनमें पेड़-पौधों, जड़ी-बूटी, घांस, कृषि उत्पाद, बागवानी, पशु एवं अन्य जलीय उत्पादन तथा प्राकृतिक वन क्षेत्रों का ब्यौरा रहता है।
इस प्रथम सम्मेलन में मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा प्रेरणादायक सम्बोधन के माध्यम से जैव विविधता प्रबन्धन समितियों का उन्मुखीकरण किया गया ताकि वे सक्रियता से अपने क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण के क्रिया-कलापों में सहभागी बन सकें।
सम्मेलन में क्षेत्र में पाए जाने वाले जैव संसाधनों के संरक्षण, संवहनीय उपयोग तथा उनके वाणिज्यिक उपयोग को विनियमित करने संबंधी विषयों पर प्रकाश डाला गया साथ ही पंचायत, प्रखण्ड और जिला स्तर पर गठित समितियों को सुदृढ़ करने और उनकी जैव विविधता संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में चर्चा की गई।