छपरा 22 दिसम्बर 2025। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली परंपरा को स्मरण करते हुए आज दिनांक 22 दिसंबर 2025 को जिलाधिकारी सारण वैभव श्रीवास्तव द्वारा मौलाना मजहरूल हक चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धापूर्वक माल्यार्पण किया गया। यह अवसर न केवल एक औपचारिक श्रद्धांजलि का था, बल्कि देश की आज़ादी, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय चेतना के मूल्यों को आत्मसात करने का भी प्रतीक बना।
कार्यक्रम में माननीय विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने मौलाना मजहरूल हक के विचारों, उनके राष्ट्रप्रेम और सामाजिक न्याय के संघर्ष को याद करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। आयोजन स्थल पर वातावरण देशभक्ति और प्रेरणा से ओतप्रोत रहा।
प्रशासनिक नेतृत्व और जनप्रतिनिधियों की संयुक्त उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज के लोकतांत्रिक दायित्वों की प्रेरक शक्ति है।
मौलाना मजहरूल हक : एक युगद्रष्टा राष्ट्रनायक
मौलाना मजहरूल हक (1866–1930) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी, महान राष्ट्रवादी विचारक, शिक्षाविद् और समाज सुधारक थे। वे उन विरले नेताओं में शामिल थे जिन्होंने हिंदू–मुस्लिम एकता को आज़ादी की बुनियाद माना और अपने संपूर्ण जीवन को इसी लक्ष्य के लिए समर्पित कर दिया।
वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे और असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध निर्भीक लेखन और संगठनात्मक गतिविधियों के कारण उन्हें कई बार कारावास भी सहना पड़ा। उन्होंने अपनी संपत्ति और संसाधनों को राष्ट्रीय आंदोलन और सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान ऐतिहासिक है। वे बिहार विद्यापीठ की स्थापना से जुड़े रहे और इसे राष्ट्रीय शिक्षा का केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना मजहरूल हक का विश्वास था कि शिक्षा, चरित्र और राष्ट्रीय चेतना ही किसी समाज को सशक्त बनाती है।
उनका जीवन त्याग, साहस, समरसता और राष्ट्रभक्ति का जीवंत उदाहरण है। आज भी उनका नाम बिहार ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उनकी जयंती हमें यह स्मरण कराती है कि स्वतंत्रता केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि निरंतर निभाई जाने वाली जिम्मेदारी है।



