मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज पंचायत सीजन 3 पिछले दिनों रिलीज हो चुका है। पिछले दो सीजनों की तुलना में ये सीजन कई मायनों में अलग हट कर है। कई पात्रों को जहाँ नया अवतार मिला है तो वहीं कई नये पात्र अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। इस सीजन की जो एक सबसे बड़ी यूएसपी है वह है भारतीय प्रेम को मजबूती के साथ रखना जो आँख और दिमाग को काफी सुकून देता है।
आजके इंटरटेनमेंट ने जहाँ छोटे शहरों से महानगरों की ओर भविष्य तराशने गए युवाओं में परमानेंट रूममेट्स, लिटिल थिंग्स, हाफ लव हाफ अरेंज्ड आदि सीरीज ने जहां फास्ट फारवर्ड डेटिंग, ब्रेकअप, पैचअप और लिव इन आदि वेस्टर्न कल्चर को भारतीय संस्क्रति में स्लो पाईजन तरह इंजैक्ट कर घर परिवार की मान मर्यादा सब ताक कर उठा कर रखवा दिए हैं वहीं पंचायत के अभिषेक त्रिपाठी और रिंकी दुबे के बीच जो सीधी सादी सी लव कैमिस्ट्री दिखाई गई है वह शायद हमारी नई युवा पीढ़ी को उस धीमे जहर से छुटकारा दिलाकर प्रेम के असल मायने समझा पाए क्योंकि प्रेम में एक दूसरे का सम्मान सबसे पहली शर्त होती है ।
इस सीरीज में मन ही मन में एक-दूसरे क पसंद करने वाले रिंकी और अभिषेक जिस प्रकार एक दूसरे के सामने आते हैं, ठहरकर बात करते हैं वह अद्भुत है और एक बात जो दिल को छू जाती है वह है इनका अपने अन्य दायित्वों के प्रति समर्पण। दोनों एक दूसरे से मिलना तो चाहते हैं लेकिन हरपल अपनी जिम्मेदारियों का अहसास उन्हें बखूबी रहता है जिसके चलते वे प्रेम को लेकर डेस्परेट कतई नहीं लगते।
उनका प्रेम कभी झरने की तरह कलकल बहता है तो कभी नीली झील की तरह शांत होकर ठहर जाता है। साथ चाय पीने से लेकर साथ घूमने की बात हो तो वे दोनों ‘साथ’ शब्द को लेकर जिस प्रकार का संकोच दिखाते हैं वह अद्भुत है।
जिस प्रकार दोनों ‘शाम 7 बजे के बाद अंधेरा भी हो जाता है ,’ में ‘अंधेरे’ शब्द को लेकर असहज हो उठते हैं वह बेमिसाल है और शायद वही हमारी भारतीय संस्कृति की वास्तविक आत्मा है। एक ऐसा प्रेम जिसे अपने छोटे से गांव फुलैरा के छोटे से घर में रहने का मलाल कभी नहीं होता और महज़ एक कप ‘एक्स्ट्रा चाय’ और फकौली के लोकल बाजार की छोटी सी दुकान में लाल हरी चटनी के साथ खाया समोसा किसी फाईव स्टार होटल या ए.सी. माल की डिनर डेट से कम नहीं लगता क्योंकि प्रेम तो केवल अपनी ही मौज में बसता है और यही तो है विशुद्ध प्रेम बिना किसी मिलावट के।
अब हम यदि अपने आसपास देखे तो ऐसे साधारण, शर्मीले और सादगी पसंद प्रेमी युगल दिखाई ही नहीं देते बल्कि उन्हें आए दिन रोज़ नया लव एट फर्स्ट साईट होता रहता है। गाड़ी की पिछली सीट पर एकसाथ बैठने को कहे जाने पर हुई हिचकिचाहट और आखिरकार जब बैठे तो बीच में सहजता से छोड़ा गया सम्मानजनक स्पेस इस डिजिटल जेनेरेशन के लिए प्रेम की नई परिभाषा गढ़ जाता है।