० भारत निर्वाचन आयोग के प्रयास बुजुर्ग, दिव्यांग, थर्ड-जेंडर और पीवीटीजी मतदाताओं के अनुकूल हैं
० ईसीआई के सक्षम ऐप ने दिव्यांग मतदाताओं को उनके मताधिकार के इस्तेमाल को आसान बनाया
० कमज़ोर समुदायों ने मतदान प्रक्रिया में सुगमता और समावेशिता उपायों के साथ आत्मविश्वास से मतदान किया
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आम चुनाव 2024 में समावेशिता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता शारीरिक या अन्य बाधाओं के कारण मतदान के अधिकार से वंचित न रहने पाए। अब तक, चुनाव के छह चरणों के पूर्ण होने के बाद, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडरों, विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह (पीवीटीजी) जैसे विभिन्न वर्गों के मतदाताओं के बीच अपार उत्साह देखा गया। आम चुनाव 2024 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और 40 प्रतिशत की मानक दिव्यांगता वाले लोगों के लिए घर से मतदान करने की सुविधा प्रदान की गई थी।
तिरुवुर निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र पर लंबाडा जनजाति, ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति और अरुणाचल प्रदेश में निशि जनजाति ने आम चुनाव में पहली बार मतदान किया
मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार की अगुवाई में चुनाव आयुक्तों श्री ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू के साथ पूरे देश में किए गए ठोस प्रयासों से उन राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों से सफलता की कई कहानियां सामने आई हैं, जहां लोकसभा चुनाव-2024 के छठे चरण तक चुनाव संपन्न हो चुके हैं। सीईसी राजीव कुमार ने कहा, “वैश्विक स्तर पर नए मानक स्थापित करते हुए चुनावी प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार के लिए प्रयास करना आयोग का दृढ़ संकल्प रहा है। ईसीआई चुनावों को वास्तव में बहुलता और विविधता की भावना को प्रतिबिंबित करने वाला बनाने के लिए दृढ़ संकल्प है, जो हमारे देश का गौरव है। ईसीआई पूरी चुनाव प्रक्रिया में समावेशिता व पहुंच के सिद्धांतों और प्रथाओं को शामिल करने और गहराई से एकीकृत करने के लिए समर्पित है, ताकि समाज के सामने हर जगह अनुकरण के लिए एक उदाहरण स्थापित किया जा सके।”
मतदाता सूची में पात्र नागरिकों के पंजीकरण और अद्यतनीकरण के लिए दो साल पहले से ही ठोस प्रयास किए जा रहे थे। इन श्रेणियों के मतदाताओं को लक्षित कर विशेष पंजीकरण अभियान, शिविर आयोजित करके यह लक्ष्य हासिल किया गया। ईसीआई ने उन समुदायों के बीच भागीदारी बढ़ाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जो अपने मतदान के अधिकार से वंचित होने की संभावना रखते हैं।
घर से मतदान करने की वैकल्पिक सुविधा: भारत के आम चुनावों में पहली बार, इसे बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली
घर से मतदान करने की वैकल्पिक सुविधा चुनावी प्रक्रिया में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है और इसे भारत के आम चुनावों के इतिहास में पहली बार उपलब्ध कराया गया है। 85 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी पात्र नागरिक या 40 प्रतिशत तक दिव्यांगता वाला व्यक्ति इन चुनावों में डाक मतपत्र के माध्यम से घर से मतदान सुविधा का लाभ उठा सकता है। इस सुविधा को मतदाताओं से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। मुस्कुराते हुए मतदाताओं और उनके घर से आराम से मतदान करने के उनके प्रशंसापत्रों के सुखद दृश्य देश के सभी हिस्सों से सोशल मीडिया पर छा गए हैं। घर से मतदान, मतदान कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों की पूरी टीम की भागीदारी के साथ होता है और मतदान की गोपनीयता को पूरी तरह बनाए रखा जाता है। उम्मीदवारों के एजेंटों को भी मतदान प्रक्रिया देखने के लिए पोलिंग टीम के साथ जाने की अनुमति है।
इसके अलावा, ईसीआई अधिकारियों की एक टीम ने ठाणे जिले और मुंबई शहर के कमाठीपुरा का दौरा किया, ताकि इन क्षेत्रों में रहने वाले ट्रांसजेंडर और महिला यौनकर्मियों के साथ खुली बातचीत की जा सके, ताकि चुनावी भागीदारी में उनके सामने आने वाली चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझा जा सके, इन मतदाताओं के प्रति फील्ड मशीनरी को संवेदनशील बनाया जा सके और इन मतदाताओं को लोकसभा चुनाव-2024 के दौरान अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
ईसीआई टीम ठाणे जिले में एनजीओ/सीएसओ और टीजी समुदाय के साथ मिलकर काम कर रही है और उन्हें लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है
चुनाव आयोग ने दिव्यांग मतदाताओं को लोकसभा चुनाव-2024 में अपने मताधिकार का प्रयोग करने हेतु प्रेरित करने के लिए अर्जुन पुरस्कार विजेता और पैरा तीरंदाज सुश्री शीतल देवी को ‘ईसीआई नेशनल आइकन‘ नियुक्त किया है। साथ ही, ईसीआई की विभिन्न मतदाता जागरूकता पहलों में भाग लेने और दिव्यांग मतदाताओं तक पहुंचने के लिए ग्यारह प्रमुख दिव्यांग हस्तियों को ईसीआई का एंबेसेडर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, आयोग ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राज्य दिव्यांग आइकन भी नियुक्त किए हैं।
सुश्री शीतल देवी, राष्ट्रीय दिव्यांगजन आइकन, ईसीआई
कश्मीरी प्रवासी विशेष मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालते हुए
इसी तरह, मणिपुर में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के लिए मतदान के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए 10 जिलों में 94 विशेष मतदान केंद्र (एसपीएस) स्थापित किए गए। टेंग्नौपाल जिले में एक मतदाता के लिए एक विशेष मतदान केंद्र स्थापित किया गया। मतदान वेबकास्टिंग/वीडियोग्राफी के तहत आयोजित किया गया और राहत शिविरों के बाहर रहने वाले विस्थापित व्यक्ति भी एसपीएस में मतदान करने का विकल्प चुन सकते थे।
Source: PIB