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सारण के उदय कुमार ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी किलिमंजारो पर चढ़कर तिंरगा लहराया

सारण जिला के बनियापुर प्रखण्ड अंतर्गत बारोपुर गाँव के पैंतीस वर्षीय उदय कुमार ने इतिहास रचा है। यह सिर्फ सारण ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। के तू के मिशन के तहत ग्रुप कैप्टन जय किशन के नेतृत्व में भारत की एक टीम अफ्रीकन देश तंजनिया की सर्वश्रेष्ठ चोटी किलिमंजारो पर चढ़कर 78वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 7800 स्क्वायर फीट का तिरंगा झंडा लहराया। इस टीम में शामिल पैर से दिव्यांग उदय कुमार ने बैसाखी के सहारे 19341 फिट ऊँची चोटी पर चढ़कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। 91 प्रतिशत दिव्यांग होते हुए बैसाखी के सहारे उतनी ऊँची चोटी पर चढ़ने वाले वे पहले पुरूष हैं।

By: Sanjay Kumar Pandey

छपरा : सारण जिला के बनियापुर प्रखण्ड अंतर्गत बारोपुर गाँव के पैंतीस वर्षीय उदय कुमार ने इतिहास रचा है। यह सिर्फ सारण ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। के तू के मिशन के तहत ग्रुप कैप्टन जय किशन के नेतृत्व में भारत की एक टीम अफ्रीकन देश तंजनिया की सर्वश्रेष्ठ चोटी किलिमंजारो पर चढ़कर 78वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 7800 स्क्वायर फीट का तिरंगा झंडा लहराया। इस टीम में शामिल पैर से दिव्यांग उदय कुमार ने बैसाखी के सहारे 19341 फिट ऊँची चोटी पर चढ़कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। 91 प्रतिशत दिव्यांग होते हुए बैसाखी के सहारे उतनी ऊँची चोटी पर चढ़ने वाले वे पहले पुरूष हैं।

उस टीम ने तंजानिया में थल, जल एवं वायु तीनों जगह तिरंगा लहराया। रक्षा मंत्रालय के तहत कंचनजंघा से किलिमंजारो मिशन में ग्रुप कैप्टन जय किशन तथा उदय कुमार के अलावे सूबेदार मेजर महेन्द्र यादव, डॉ. श्रुति, पावेल, सुलोचना तामांग भी शामिल थीं। इस मिशन की सफलता में एडिशनल सेक्रेटरी दीप्ति मोहित चावला तथा ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्यजीत मोहंता की भी अहम भूमिका रही है।

यह पर्वतारोही दल दिल्ली से 2 अगस्त को तंजानिया के लिए रवाना हुआ तथा वापसी 20 अगस्त को हुई। मालूम हो कि उदय कुमार का एक पैर 29 अक्टूबर, 2015 को ही रेल दुर्घटना में कट चुका है। वर्तमान में वे कोलकाता की एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते हैं लेकिन वे इतना जुनूनी हैं कि मामूली वेतन होने के बावजूद ‘नो वर्क नो पे’ के तहत छुट्टियां लेकर मैराथन में भाग लेते रहते हैं। अभी तक देश के ग्यारह राज्यों में लगभग 75 मैराथन में वे भाग ले चुके हैं, जिसमें 21 किलोमीटर तक दौड़े हुए हैं। इसी मिशन के लिए उन्होंने बाइस दिन की छुट्टी ली थी, जिसका वेतन नहीं मिलेगा जबकि उनके कंधों पर पत्नी और दो बच्चों की भी जिम्मेदारी है।

जिस कम्पनी में वे काम करते हैं, वहाँ से छुट्टी तो आसानी से मिल जाती है लेकिन इन गतिविधियों के लिए किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग भी नहीं मिल पाता है। बिहार सरकार से भी उदय कुमार को अभी तक कोई मदद नहीं मिली पायी है। इन सब के बावजूद उदय कुमार अपने सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं।

उनका अगला लक्ष्य माउण्ट एवरेस्ट है और उन्हें पूरा विश्वास है कि एक न एक दिन वे एवरेस्ट की चोटी पर बैसाखी और अपने जुनून के सहारे चढ़कर तिरंगा लहरायेंगे।

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