इस बार मोदी जी की सरकार बैसाखी के सहारे खड़ी है। इंडिया गठबंधन बढ़ा है। एनडीए गठबंधन घटा है। ख़ुद प्रधानमंत्री जी का वोट अप्रत्याशित ढंग से नीचे आया है।
2019 के चुनाव में मोदी जी ने अपने क्षेत्र वाराणसी से लगभग चार लाख अस्सी हज़ार मतों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में महज़ एक लाख बावन हज़ार वोट से जीत पाए। इतना ही नहीं बल्कि गिनती के शुरुआती दौर में वे कुछ घंटे तक पीछे भी रहे। जबकि उस क्षेत्र की सभी सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं। मेयर भी उन्हीं का है। लखनऊ में बुलडोज़र बाबा हैं ही, इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री जी के मतों में इतनी भारी गिरावट क्या दर्शाता है।
सबसे चकित करने वाली बात यह है कि अयोध्या में दो बार के भाजपा सांसद लल्लू सिंह भी चुनाव हार गए। जबकि अयोध्या में प्रधानमंत्री के रोड शो में वे उनके बग़ल में ही खड़े होकर हाथ हिला रहे थे। शायद रामजी को भी मालूम हो चुका है कि इनकी भक्ति दिखावा भर है। इनकी असली भक्ति तो वोट में है। इसलिए अयोध्या में इनको हराकर वहाँ से एक दलित प्रत्याशी को जीत दिला कर राम जी ने जता दिया कि वे किसके साथ हैं।
बिहार में लोकसभा के पिछले चुनाव में भाजपा गठबंधन को चालीस में उनचालीस सीट मिली थी। इस बार उनकी आठ सीट घट गई। बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक आदि में भी भाजपा घट गई। दूसरी तरफ़ इंडिया गठबंधन लगभग दोगुना हो गया। इस बार मोदी जी की सरकार बैसाखी के सहारे खड़ी होगी। इसलिए सर्वशक्तिमान जैसी जो आज़ादी मोदी जी को पहले थी, वह तो अब सपने में भी मुमकिन नहीं है।लोकतंत्र के लिए यह शुभ है।