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सेवा कुटीर सारण ने एक दशक बाद बिछड़े नौशाद आलम को परिवार से मिलाया, खुशी से झूम उठा परिवार

छपरा, बिहार: सारण स्थित सेवा कुटीर ने एक सराहनीय पहल करते हुए कटिहार जिले के नौशाद आलम को एक दशक बाद उनके परिवार से मिलाकर एक बड़ी खुशी दी है। नौशाद आलम, जो पिछले 13 साल से अपने परिवार से बिछड़े हुए थे और मानसिक अवसाद से जूझ रहे थे, उन्हें सेवा कुटीर के अथक प्रयासों से उनके परिजनों तक पहुंचाया गया।

नौशाद आलम को 27 अगस्त 2024 को सेवा कुटीर के कर्मियों ने गांधी चौक, छपरा के पास भिक्षाटन करते हुए देखा था। सेवा कुटीर के क्षेत्र समन्वयक विकास कुमार सिंह की नजर उन पर पड़ी और बातचीत के दौरान उन्हें मानसिक रूप से व्यथित पाया गया। इसके बाद उन्हें सेवा कुटीर लाया गया, जहां उन्हें नियमों के अनुसार सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं।

शुरुआत में नौशाद आलम ज्यादा बातचीत नहीं करते थे, लेकिन कुछ दिनों के बाद उनका कोईलवर स्थित मानसिक अस्पताल में इलाज कराया गया। पूर्ण चिकित्सा सुविधा और नियमित दवाओं से धीरे-धीरे उन्हें मानसिक अवसाद से बाहर निकाला गया। उनके मनोरोग को दूर करने के बाद, क्षेत्र समन्वयक विकास कुमार सिंह के लगातार प्रयासों से नौशाद ने अपना स्थायी पता बताया।

पता मिलने के बाद, विकास कुमार सिंह ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से नौशाद के परिजनों से संपर्क साधा। वीडियो कॉल के माध्यम से पूरे परिवार से बात हुई और नौशाद को देखते ही उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। आज, 25 जून 2025 को, सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग की उपस्थिति में नौशाद आलम को उनके परिवार को सौंप दिया गया, जो उन्हें खुशी-खुशी अपने साथ ले गए।

नौशाद आलम पहले दिल्ली में एक निजी कंपनी में काम करते थे। पारिवारिक कारणों से वे लगातार तनाव में रहने लगे और धीरे-धीरे मानसिक अवसाद में चले गए। वर्ष 2012 में वे पूरी तरह से घर छोड़कर चले गए और कुछ समय तक कुछ-कुछ काम करके अपना गुजारा करते रहे। हालांकि, कुछ समय बाद वे पूरी तरह से मानसिक रोगी हो गए और भीख मांगकर अपना भरण-पोषण करने लगे। भटकते-भटकते वे छपरा आ पहुंचे, जहां सेवा कुटीर उनके लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आया।

सेवा कुटीर के इस मानवीय कार्य में लेखपाल, क्षेत्र समन्वयक विकास कुमार सिंह, ए.एन.एम., केयर टेकर और गार्ड सहित सभी कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके सामूहिक प्रयासों से नौशाद आलम को न केवल एक नया जीवन मिला, बल्कि उनके परिवार को भी उनकी वापसी की खुशी मिली।

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