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राजद के नेतागण बिना प्रमाण के आरोप लगाने से बाज नहीं आते हैं– जदयू

शनिवार को जनता दल (यू) प्रदेश कार्यालय, पटना में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, विधानपार्षद सह मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता डॉ निहोरा प्रसाद यादव एवं महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष सह प्रदेश प्रवक्ता डॉ भारती मेहता ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सम्मानपूर्वक प्रमाण करना हर सभ्य नागरिक का संस्कार होता है। वीडियो में जो दिख रहा है वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शिष्टाचार भाव को प्रदर्शित करता है।

आगे उन्होंने पूछा कि राजद की ओर से जो वीडियो जारी किया गया है, उसका ऑडियो कहाँ और किसके पास है? उक्त वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को प्रणाम किया तो उन्होंने ने भी सामने से हाथ जोड़कर नीतीश कुमार का अभिवादन किया। उस वीडियो को जारी कर राजद ने कहीं न कहीं राबड़ी देवी को भी कटघरे में खड़ा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बिहार ने उस दौर को भी देखा है जब राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एक कुर्सी पर बैठते थे और सामने वाली कुर्सी पर उनका पैर रहता था, और राजद के बड़े-बड़े उम्रदराज नेता खड़े रहकर तस्वीरें खिंचवाते थे। बिहार की जनता ने राजनीति के नव-सामंत का दौर भी करीब से देखा है। प्रवक्ताओं ने राजद को अभिमानी करार दिया और कहा कि इन लोगों ने अपनी संस्कृति के अपमान का कोई भी मौका नहीं चुका। राजद के लोगों को सम्मान और समर्पण का अंतर नहीं मालूम है।

साथ ही इस मौके पर जद (यू) की ओर से वीडियो जारी किया गया जिसमें नेता प्रतिकक्ष तेजस्वी यादव यह कहते दिख रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें काम करने का मौका दिया इस कथन सीधा अर्थ है कि नीतीश कुमार के बदौलत ही तेजस्वी यादव की राजनीति के हाड़ में हल्दी लगा। जारी किए गए दूसरे वीडियो में शिक्षक नियुक्ति के संदर्भ में तेजस्वी यादव कहते हैं कि ‘नीतीश कुमार कहने वाले नहीं बल्कि करने वाले नेता है’। आज वही राजद अपना स्वरूप पूरी तरह से बद चुकी है।

आगे प्रवक्ताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव दावा करते थें कि जनता दल (यू) का मैंने कल्याण किया और शिक्षकों की नियुक्ति भी हमारे द्वारा की गई लेकिन तेजस्वी यादव अपने पुराने बयानों में नौकरी का श्रेय भी नीतीश कुमार को दे रहे हैं और उप-मुख्यमंत्री बनने का भी। इन बयानों से उनका दोनों दावा पूरी तरह से फर्जी साबित हुआ। उन्होंने कहा कि राजद मुद्दों की राजनीति से भटक चुकी है। राजद के नेतागण बिना प्रमाण के आरोप लगाने से बाज नहीं आते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राजद राजनीतिक समापन के कगार पड़ थी तब जद (यू) ने उन्हें संजीवनी देने का काम किया।

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