कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का विरोध करते हुए कहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाने की खीज का नतीजा है और ऐसा कर वह कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सोमवार को कहा कि आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था और गांधी जी की हत्या के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा था लेकिन मोदी ने करीब छह दशक के बाद इस प्रतिबंध को हटाकर लोकसेवकों को न केवल विचारधारा के आधार पर बांटने का काम किया है, बल्कि उनकी निष्पक्षता तथा संविधान के सर्वोच्च होने के भाव को संदेहास्पद बना दिया है।
खडगे ने कहा, “1947 में आज ही के दिन भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था और सरदार पटेल ने उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी दी थी। चार फरवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने अरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। मोदी जी ने 58 साल बाद, सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर 1966 में लगा प्रतिबंध हटा दिया है। हम जानते हैं कि पिछले 10 वर्षों में भाजपा ने सभी संवैधानिक और स्वायत्त संस्थानों पर संस्थागत रूप से कब्ज़ा करने के लिए आएसएस का उपयोग किया है।”
उन्होंने कहा, “मोदी जी सरकारी कर्मचारियों पर आएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा कर सरकारी दफ़्तरों के कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। यह सरकारी दफ़्तरों में लोक सेवकों के निष्पक्षता और संविधान के सर्वोच्चता के भाव के लिए चुनौती होगा। सरकार संभवतः ऐसे कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि जनता ने उसके संविधान में फेर-बदल करने की कुत्सित मंशा को चुनाव में परास्त कर दिया।”