पटना 01 अक्तूबर 2024। अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन और बिहार पेंशनर समाज के द्वारा संयुक्त रूप से बुजुर्गों को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें वृद्धजनों की समस्या, चुनौतियां और उनके समाधान पर चर्चा की गई, उनका हित -चिन्तन करते हुए उनके सम्मान की आवश्यकता बताई गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त पदाधिकारी श्याम जी सहाय, पद्मश्री डॉ• जितेन्द्र सिंह, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ• अनिल सुलभ बिहार इन्डस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरुण अग्रवाल, साहित्यकार एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी डॉ• उपेन्द्र पांडेय , बिहार पेंशनर समाज के अध्यक्ष रविशंकर सिन्हा तथा अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन की अध्यक्ष ज्योति श्रीवास्तव के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन के संस्थापक सचिव एवं सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव पद से सेवानिवृत्त पदाधिकारी आनन्द बिहारी प्रसाद ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों की जीवन प्रत्याशा वर्तमान में लगभग 71 वर्ष हो चुकी है और वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 15 करोड़ से अधिक है जो भारत की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है। 2050 तक बुजुर्गों की संख्या 20 प्रतिशत से भी अधिक हो सकती है। इस तरह देश और समाज में उनकी स्थिति और उनकी सुरक्षा और उनकी उपयोगिता एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है।
श्याम जी सहाय द्वारा कहा गया कि बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों के जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती है – शारीरिक समस्याएं मानसिक एवं भावनात्मक समस्याएं , आर्थिक समस्याएं, एकाकीपन एवं खालीपन की समस्या, परिवार, समाज से उपेक्षा, बहुत सारी समस्याएं समाज का बुजुर्गों के प्रति बदलता दृष्टिकोण, पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच बढ़ती खाई का कारण है, बुजुर्गों के घटते आत्म विश्वास और उनकी जीवन शैली के कारण है। डॉ० अनिल सुलभ ने बुजुर्गों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बृद्धजन अपनी कामनाओं को नियंत्रित करें , अपेक्षाओं को कम करें और सुखी तथा आनंदित जीवन जिये तथा शेष जीवन को सार्थक बनायें ।
बिहार पेंशनर समाज के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ० जितेन्द्र सिंह द्वारा बुजुर्गों की स्वास्थ्य समस्याएं एवं उनके समाधान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता बताई गई। मनोचिकित्सक डा• सौरभ कुमार द्वारा बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य पर जोर देते हुए तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाने का अनुरोध किया। डॉ० उपेन्द्र पांडेय ने बुजुर्गों के लिए आध्यात्मिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए अनुरोध किया कि मनोविकारों से मुक्त होकर भक्ति से शक्ति अर्जित कर अपने उत्तरार्ध जीवन को शान्त एवं सुखद बनाएं।सेवनिवृत प्रोफेसर अनिल कुमार प्रसाद ने बुजुर्गों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुजुर्ग भी अपने को वृद्ध मानते हुए अपने को लाचार , अनुपयोगी एवं बोझ नहीं समझें । बदलते युग के साथ अपने को ढालते हुए नई पीढ़ी के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए यथा संभव सक्रिय जीवन जिएं।
सेवानिवृत्त स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक अशोक पाण्डेय द्वारा बृद्धजनों के लिए आर्थिक प्रबंधन की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री 93 वर्षीय डॉ० शिव वंश पाण्डेय, बिहार पेंशनर समाज के अध्यक्ष रविशंकर सिन्हा को उनके उल्लेखनीय अवदान तथा जीवन के दसवें दशक में भी उनकी सार्थक सक्रियता के लिए तथा सेन्ट जोसेफ कॉन्वेन्ट स्कूल की सेवा निवृत्त 87 वर्षीय शिक्षिका मिस मैरी कैरियाकोशे को जीवन के नौवें दशक में भी सार्थक सक्रियता लिए सम्मानित किया गया । ये तीनों बुजुर्गों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच में संवाद का कायम किया गया जिसमें पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं गोपालगंज के वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन बिहारी श्रीवास्तव, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, सेवा निवृत्त मुख्य बैंक प्रबंधक श्री पांडेय जिसमें दोनों पीढियों के बीच बढ़ती दूरी का विश्लेषण, उनके बीच समन्वय एवं समाधान पर चर्चा हुई।
चौथे सत्र में उपस्थित बुजुर्गों के द्वारा अपनी कविता, गीत, गजल, प्रहसन इत्यादि की उत्कृष्ट प्रस्तुति हुई जिनमें उल्लेखनीय रहे विपिन बिहारी श्रीवास्तव, छोटे लाल गुप्ता, डॉ० अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, डॉ० पूनम आनन्द, पूनम देवा, मीरा श्रीवास्तवा, डॉ० नवल किशोर शर्मा, पूनम श्रेयषी, शिवानी गौड़, ॠचा वर्मा, मीना परिहार , डॉ० प्रेम प्रकाश, मधुरानी लाल, ज्योत्सना इत्यादि।
अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन के द्वारा इन्हें भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन शिवानी गौड़ के द्वारा किया गया।