पटना: सूर्य से दुनिया है और दुनिया का सबसे अनोखा पर्व है छठ। भारत सरकार ‘छठ महापर्व’ को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage of Humanity) में शामिल कराने का प्रयास कर रही है। संस्कृति मंत्रालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सहयोग से संगीत नाटक अकादमी आधिकारिक डोज़ियर तैयार कर रही है। संगीत नाटक अकादमी ने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक को भी शामिल किया गया है।
मनोज भावुक ने बताया कि छठ अब एक वैश्विक पर्व बन गया है, छठ के समय पूरी दुनिया में एक बिहार नजर आता है, इसलिए दुनिया भर के बिहारियों (पूर्वांचलियों) ने इस दिशा में प्रयास करना शुरू कर दिया है। भारत की पहले से ही 15 सांस्कृतिक धरोहरें यूनेस्को की सूची में शामिल हैं, जिनमें वैदिक चैंटिंग, कुटियट्टम, रामलीला, छाऊ नृत्य, योग, कुंभ मेला और कोलकाता की दुर्गा पूजा शामिल हैं। भारत सरकार के छठ से जुड़ी इस समिति का हिस्सा बनने पर खुशी ज़ाहिर करते हुए मनोज भावुक ने कहा कि हम छठ पूजा देखते और छठ गीत सुनते बड़े हुए हैं। हमारे दुख के उबार के लिए माई ने छठी मइया से कई बार भारा भी भाखा है (मन्नत माँगा है), बाद में विदेशों में भी छठ पूजा में शामिल होने का सौभाग्य मिला है।
अफ्रीका में भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ युगांडा (2005) की स्थापना कर विक्टोरिया लेक के किनारे छठ पूजा की शुरुआत कराई हमने और लंदन में भोजपुरी समाज (2006) की स्थापना कर बाद में टीवी चैनल्स से जुड़ने पर छठ पर केंद्रित अनेक शोज किये। बतौर ‘सारेगामापा’ प्रोजेक्ट हेड और राइटर छठ पर स्पेशल शोज लिखा और बनाया। बतौर संपादक ‘भोजपुरी जंक्शन’ छठ पर विशेषांक निकाला और अख़बारों व पोर्टल्स में छठ केंद्रित अनेक फीचर व ब्लॉग्स लिखा। छठ पर मेरे लिखे गीतों को अनेक स्थापित गायकों ने गाया है तो भारत सरकार के इस छठ कमिटी का हिस्सा बनना मेरे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इस जिम्मेदारी के लिए भारत सरकार का शुक्रगुजार हूँ।