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जानिए क्यूँ जरुरी है शादी से पहले दंपती के खून की जांच अनिवार्य रूप से कराना 

सिकल सेल एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जिसका कोई उपचार नहीं है। सिर्फ इसकी समय से पहचान और सतर्कता के बरतने के बाद ही इसके प्रसार की चेन को तोड़ा जा सकता है। लेकिन सबसे अच्छा उपाय यह है कि शादी से पहले दंपति के खून की जांच जरूर कराया जाना चाहिए। क्योंकि शादी के बाद सुरक्षित और स्वस्थ बच्चे के लिए भी अतिआवश्यक है।

छपरा, 19 जून। सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं की विशेषता है जो अर्धचंद्र या हंसुआ का आकार होता हैं। साथ ही अनियमित आकार की कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा कर सकती हैं, जिससे विभिन्‍न प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसको लेकर पूरी दुनियां के व्यक्तियों, परिवारों एवं समुदायों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है। “प्रगति के माध्यम से आशा: विश्व स्तर पर सिकल सेल देखभाल को आगे बढ़ाना जैसी महत्वपूर्ण थीम के तहत विश्व सीकल सेल दिवस मनाया जा रहा है। सिकल सेल एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जिसका कोई उपचार नहीं है। सिर्फ इसकी समय से पहचान और सतर्कता के बरतने के बाद ही इसके प्रसार की चेन को तोड़ा जा सकता है। लेकिन सबसे अच्छा उपाय यह है कि शादी से पहले दंपति के खून की जांच जरूर कराया जाना चाहिए। क्योंकि शादी के बाद सुरक्षित और स्वस्थ बच्चे के लिए भी अतिआवश्यक है।

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सिकेल रोगी भी कुछ सावधानियों के साथ लंबा और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। लेकिन वैसे रोगियों को अत्यधिक मात्रा में शुद्ध पेयजल यानी स्वच्छ पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन फॉलिक एसिड की एक गोली लेनी होगी। अगर किसी को उल्टी, दस्त या ज्यादा पसीना होने की शिकायत होती है तो बगैर देर किए नजदीकी अस्पताल के चिकित्सको से संपर्क स्थापित कर उचित परामर्श के साथ ही इलाज़ कराना चाहिए। हम सभी को संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। ताकि शरीर को सभी तरह की विटामिंस मिल सकें। प्रत्येक तीन महीने पर हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करवानी चाहिए। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि शराब, धुम्रपान या नशापान करने से अपने आपको दूर हो रखना चाहिए।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि सिकेल सेल एक अनुवांशिक रोग है जिसका पता खून की जांच कराने के बाद ही चलता है। क्योंकि यह खून का एक ऐसा विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं। ऐसा होने से एनीमिया, गुर्दे या यकृत का फेल होना, स्ट्रोक और फेफड़े में संक्रमण सहित कई अन्य प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं। जो लोग सिर्फ सिकेल सेल के वाहक होते हैं उनमें यह गंभीर लक्षण तो नहीं आते हैं, लेकिन वह आने वाली पीढ़ियों में यह बीमारी का प्रसार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाथ व पैरों में दर्द, कमर के जोड़ों में दर्द, बार- बार पीलिया होना, लीवर में सूजन, मूत्राशय में दर्द, पित्ताशय में पथरी और अस्थि रोग सिकेल सेल के कारण भी हो सकता हैं, इसलिए इस तरह के लक्षण आने की स्थिति में अनिवार्य रूप से सिकेल सेल से संबंधित जांच करा लेनी चाहिए।

सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ किरण ओझा ने बताया कि राष्ट्रीय सिकेल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की एक रिपोर्ट के अनुसार सामान्य हीमोग्लोबिन वाले माता पिता के बच्चों में यह बीमारी नहीं होती है। यदि माता या पिता दोनों में से कोई भी सिकेल सेल का वाहक होगा तो 50 प्रतिशत बच्चों में बीमारी का वाहक होने और 50 प्रतिशत बच्चों के सामान्य पैदा होने की संभावना है, लेकिन इनमें से किसी भी बच्चे को बीमारी नहीं होगी। यदि माता और पिता दोनों सिकेल सेल के वाहक होंगे तो उनके पच्चीस प्रतिशत बच्चों में सिकेल रोग, पचास प्रतिशत बच्चों में सिकेल वाहक और केवल पचीस प्रतिशत बच्चों के सामान्य होने की संभावना रहती है। यदि माता और पिता में से कोई भी एक सिकेल रोग वाला है और दूसरा सामान्य है तो शत प्रतिशत बच्चे सिकल वाहक होंगे, लेकिन सिकेल रोगी नहीं होंगे। यदि माता और पिता दोनों में से एक व्यक्ति सिकेल वाहक हो और एक व्यक्ति सिकेल रोगी हो तो 50 प्रतिशत बच्चे सिकेल रोगी और 50 फीसदी बच्चे सिकेल वाहक होंगे। यदि दंपति में दोनों सिकेल रोगी होंगे तो शत प्रतिशत बच्चे सिकल रोगी पैदा होंगे।

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