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हर साल 26 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाएगी भारत सरकार, कांग्रेस ने कहा…

कांग्रेस ने तत्कालीन सरकार के 1975 में आपात काल लागू करने की तिथि 26 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने के फैसले पर शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे लोकसभा चुनाव में बहुमत तक नहीं पहुंच पाने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हताशा बताया और कहा कि यह विडम्बना है कि जिस सरकार ने पिछले 10 साल में हर दिन संविधान की हत्या की है वह संविधान हत्या दिवस मनाने जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के हर साल 26 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने के फैसले को मोदी सरकार की संविधान के प्रति असंवेदना बताया और कहा कि ‘संविधान’ के साथ ‘हत्या’ शब्द जोड़ना उनकी संविधान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों के अपने कार्यकाल में हर दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ ही मनाया है और देश के हर गरीब तथा वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीनने का काम किया है।

उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए कर्यों को गिनाते हुए उन्हें संविधान की हत्या बताया और कहा,“जब मध्य प्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है, या जब यूपी के हाथरस की दलित बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार कर देती है तो यह संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब हर 15 मिनट में दलितों के खिलाफ एक बड़ा अपराध घटता है और हर दिन छह दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब अल्पसंख्यकों पर ग़ैरक़ानूनी बुलडोज़र न्याय का प्रकोप होता है जिसमें दो वर्षों में ही 1.5 लाख घरों को तोड़कर 7.38 लाख लोगों को बेघर बनाया जाता है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा के चपेट में है और आप वहाँ कदम तक रखना पंसद नहीं करते हैं तो आपकी यह सोच संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सीधा हमला किया और कहा,“मोदी जी, आपको मुँह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती। भाजपा आरएसएस-जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना। क्या ये सच नहीं है कि आरएसएस के मुखपत्र आर्गनाइजर ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था कि ‘भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमे भारतीय कुछ भी नहीं है’ और क्या यहां आएसएस साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी बाबासहेब डॉ अंबेडकर जी के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में नहीं खड़ी हुई। जब मनमाने तरीक़े से नोटबंदी लागू करके, रिजर्व बैंक जैसी संस्था को कुचला, बैंकों की लाइनों में खड़ा कर 120 लोगों की जान ली और ताली बजा-बजाकर ‘घर में शादी है, पर पैसे नहीं है’ कहकर आम जनता का माखौल उड़ाया तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब आपने कोविड महामारी के दौरान लाखों मज़दूरों को उनके पैरों के छाले की परवाह न किए बिना, बस-ट्रेन नहीं उपलब्ध कराई और सैंकड़ों किलोमीटर चलने को मजबूर किया, क्योंकि आपके मन में आया कि लॉक-डाउन बिना तैयारी के लगाना ज़रूरी है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब सुप्रीम कोर्ट के 5 मौजूदा जजों ने सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर आपकी सरकार की कोर्ट में दख़लंदाज़ी पर सवाल उठाए तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब आपकी सरकार ने ईडी, सीबीआई, आईटी का इस्तेमाल कर के 95 प्रतिशत विपक्ष के नेताओं पर केस थोपे, कई चुनी हुई सरकारें गिराईं, राजनीतिक दलों को तोड़ा, चुनाव से दो हफ़्ते पहले देश की मुख्य विपक्षी दल के बैंक खाते फ़्रीज़ करवाए, दो-दो चुने मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब अन्नदाता किसानों पर तीन काले क़ानून थोपे जाएँ, उनको एक साल तक दिल्ली की दहलीज़ पर दर्दनाक तरीक़े से बैठने को मजबूर किया जाए, उनपर लाठी-डंडे बरसाए जाए, ड्रोन से आँसू गैस व रबर बुलेट बरसाई जाए, जो 750 किसानों की जान ले लें तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब संसद को सत्तारूढ़ दल का मैदान बना दिया जाए, जिसमें एक साथ 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर एकतरफ़ा ढंग से, तानाशाह की तरह, महत्वपूर्ण क़ानून पारित करवाए जाएँ तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है।”

उन्होंने कहा,“जब अधिकतर मीडिया को अपना चाटुकार बनाकर, विपक्ष पर 24 घंटे उँगलियाँ उठाई जाएँ, कॉरपोरेट दोस्तों से मीडिया को खरीदवाकर संविधान के चौथे स्तंभ को नेस्तनाबूद किया जाए तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब चुनावी बौंड योजनाको संसद में जबरन पारित करवाकर भाजपा को ‘चंदे के धंधे’ व ईडी, सीबीआई, आईटी का डर दिखवाकर, भाजपा को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से मालामाल किया जाए तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है। जब विश्वविद्यालयों में छात्रों से लेकर, स्वतंत्र पत्रकारों तक, जब सिविल सोसाइटी, संस्थानों से लेकर आईआईटी, आईआईएम, एफटीआईआई, एसीईआरजी, यूजीसी तक और हर वो नागरिक जो स्वायत्तता व स्वतंत्रता से बोलना चाहता है, उस पर तानाशाही की लगाम लगाई जाए तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है।”

खडगे ने कहा,“मोदी जी, भाजपा आरएसएस संविधान को मिटाकर, मनुस्मृति लागू करना चाहती है। जिससे दलितों, आदिवासियों, व पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात किया जा सके। तभी वो ‘संविधान’ जैसे पवित्र शब्द के साथ ‘हत्या’ जैसा शब्द जोड़कर बाबासाहेब डॉ अंबेडकर का अपमान कर रही है।” कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा,“400 पार का सपना देख कर संविधान बदलने की बात करने वाले 240 पर सिमट गये। उनका घमंड टूट गया और संविधान को बदलने का उनका सपना चूर चूर हो गया। जब जय संविधान से संसद गूंज उठी तो संविधान हत्या दिवस की बात ही हो रही है। यह उनकी मानसिकता है कि वे संविधान हत्या जैसे शब्द भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन में लाते हैं। संविधान हत्या जैसे शब्द को सिर्फ वे लोग ही ला सकते हैं जो संविधान बदलना चाहते हैं। ठीक है उस दौर में 19 महीने तक संविधान स्थगित रहा था लेकिन दस साल में संविधान में रोज संविधान की हत्या करने की साजिश की। कभी दलितों और आदिवासियों की जमीन छीनकर, विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं की सांसदी छीनकर और घर छीनते हैं, असम पुलिस लोगों को बुलाकर गिरफ्तार करवाते हैं, लोगों की पार्टियां तोड़ देते हैं और आप ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने की बात कर रहे हैं। अब नाटक से सरकार नहीं चल सकती, अब इससे राजनीति भी नहीं चल सकती, महंगाई खत्म कीजिए, काम कीजिए, नाटक से अब सरकार चलने वाली नहीं है इसलिए काम कीजिए।”

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