पटना: बिहार में चुनाव का समय है और गीतकार मनोज भावुक अपने छठ गीत में जरुरी सवाल करते हैं ‘कब ले पलायन के दुख लोग झेले / कब ले सुतल रहिहें एमपी-एमएलए?’ जाने-माने भोजपुरी साहित्यकार व फिल्म गीतकार मनोज भावुक, भोजपुरी सिनेमा की स्थापित पार्श्व गायिका प्रियंका सिंह व संगीतकार विनीत शाह ने छठ महापर्व के मौके पर अपना नया छठ गीत ‘पलायन के दर्द : सुनs ए छठी मइया’ रिलीज किया है, जो सुनते ही लोगों को सोचने-समझने पर मजबूर कर रहा है। यह गीत प्रियंका सिंह के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर जारी किया गया है। मनोज भावुक के इस खूबसूरत व मर्मस्पर्शी बोल को संगीत दिया है विनीत शाह ने।
गीत का थीम और बोल
गीत में मनोज भावुक पलायन के दर्द को उकेरते हुए यूपी-बिहार के लोगों को जागरूक करते हैं। वह बताते हैं कि पलायन सिर्फ गाँव में अकेली रह रही ब्याहता के लिए ही नहीं, बूढ़े माँ-बाप के लिए भी एक असहनीय दर्द होता है। लब्बोलुआब यह है कि दुनिया को स्वर्ग बनाने वाले बिहार-यूपी के लोगों के लिए पलायन सदियों से अभिशाप बना हुआ है, कभी गिरमिटिया के रूप में, कभी भिखारी ठाकुर के बिदेसिया के रूप में. यह बंद होना चाहिए और लोगों को अपने क्षेत्र में ही रोजगार मिलना चाहिए. यही भजन, यही प्रार्थना है छठी मइया से इस गीत में।
तारीफ कर रहे हैं लोग
फैंस सोशल मीडिया पर इस गाने की जमकर तारीफ कर रहे हैं। प्रियंका सिंह की आवाज तो मधुर और प्यारी है ही, मनोज भावुक के फिल्मीं गीतों में भी साहित्य, सवाल, सरोकार, संस्कार और मिट्टी की खुशबू सर चढ़ के बोलता है। हाल ही में रिलीज फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ के सारे गीत मनोज भावुक ने लिखे हैं जो हमें शैलेन्द्र, मजरूह और अंजान के समय के भोजपुरी गीतों की याद दिलाते हैं।
इसके अलावा मनोज भावुक के दो और छठ गीत चर्चा में हैं
- लोकगायिका चंदन तिवारी के स्वर में- उगीं ना सुरुज हमरो अँगना
- सारेगामापा फेम मनोहर सिंह के स्वर में – जागे यूपी-बिहार
गौरतलब है कि भारत सरकार छठ को यूनेस्को में शामिल कराने की कोशिश कर रही है और मनोज भावुक उस हेतु बने विशेषज्ञ समिति के सदस्य हैं।