पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को मिली भारी जीत के बाद राज्य की राजनीति एक बार फिर ऐतिहासिक पल की ओर बढ़ रही है। एनडीए नेता नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उनके साथ करीब 20 मंत्रियों के भी शपथ लेने की संभावना है। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गांधी मैदान में किया जाएगा—वही मैदान, जिसने बिहार की राजनीति के कई अहम मोड़ अपनी आंखों से देखे हैं।
गौरतलब है कि गांधी मैदान में यह पांचवां अवसर होगा जब किसी मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले कुल चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ इसी मैदान में ली जा चुकी है। इस मैदान से ही लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार—दोनों बड़े नेताओं ने अपने-अपने कार्यकाल की शुरुआत की थी।
नीतीश कुमार ने पहली बार वर्ष 2005 में गांधी मैदान से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद वर्ष 2010 और 2015 में भी वे इसी मैदान से अपने नए कार्यकाल की शुरुआत कर चुके हैं। इससे पूर्व, 1990 में लालू प्रसाद यादव ने भी गांधी मैदान में ही शपथ लेकर अपनी सियासी यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय की शुरुआत की थी।
राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ गांधी मैदान का ऐतिहासिक महत्व भी अद्वितीय है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह मैदान कई बड़े आंदोलनों का केंद्र रहा। महात्मा गांधी के अनेक सभाओं और कार्यक्रमों का यह साक्षी रहा है। यही नहीं, जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किया गया संपूर्ण क्रांति आंदोलन भी इसी मैदान से परवान चढ़ा था—जिसका प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति तक देखने को मिला।
आज भी गांधी मैदान सत्ता परिवर्तन, लोकतांत्रिक संदेश और राजनीतिक शक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। ऐसे में एक बार फिर होने वाला शपथ ग्रहण समारोह न केवल बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इस मैदान के गौरवशाली इतिहास में एक और अध्याय जोड़ने वाला होगा।



