HomeFilm / EntertainmentBollywoodसैंयारा: मोहित सूरी का नया इमोशनल कॉकटेल, अहान और अनीत की ताजगी...

सैंयारा: मोहित सूरी का नया इमोशनल कॉकटेल, अहान और अनीत की ताजगी भरी केमिस्ट्री

मोहित सूरी एक बार फिर अपनी चिर-परिचित शैली में ‘दर्द-ए-दिल’ की एक नई कहानी लेकर आए हैं, जिसका नाम है ‘सैंयारा’। यह फिल्म उनके पुराने कामों जैसे ‘आशिकी 2’ की ही एक नई कड़ी है, जो प्यार, दर्द और सुरीले गानों के कॉकटेल से भरी है। इस फिल्म से अहान पांडे (चंकी पांडे के भतीजे) और अनीत पड्डा जैसे दो नए चेहरे डेब्यू कर रहे हैं, जिनकी केमिस्ट्री कहानी में ताजगी भरती है। कहानी में कुछ कमियों के बावजूद, मोहित सूरी का प्यार का यह दांव एक बार फिर दर्शकों को पसंद आ सकता है।

कहानी: संगीत, प्यार और संघर्ष का सफर

‘सैंयारा’ की कहानी कृष कपूर (अहान पांडे) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो संगीत की दुनिया में अपना नाम रोशन करने का सपना देखने वाला एक उभरता हुआ कलाकार है। कृष का किरदार मोहित सूरी की पिछली फिल्मों के बेपरवाह, गुस्सैल और सिगरेट के कश खींचने वाले नायक (जैसे ‘आशिकी 2’ का आरजे या ‘रॉकस्टार’ का जेजे) जैसा है। दूसरी ओर, वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) एक शांत, समझदार और कुछ हद तक गुमसुम लड़की है, जो हाल ही में एक दर्दनाक ब्रेकअप से उबरी है। दोनों ही बेहद प्रतिभाशाली हैं, और कहानी उनके प्यार और सपनों की ओर बढ़ने के सफर को बयां करती है।

फिल्म समीक्षा: कुछ नया, कुछ पुराना

बॉलीवुड की पहचान रही प्रेम कहानियों की कड़ी में ‘सैंयारा’ की कहानी में कुछ खास नयापन नहीं है। शुरुआत में यह मोहित की ही ‘आशिकी 2’ का विस्तार लगती है, वहीं कहानी के ट्विस्ट अजय देवगन-काजोल अभिनीत ‘यू मी और हम’ और ‘द नोटबुक’ की याद दिलाते हैं। हालांकि, मोहित सूरी ने जिस संवेदनशीलता के साथ अपने किरदारों के प्यार को पर्दे पर उतारा है, वह दर्शकों को बांधे रखता है।

पहला हाफ अपेक्षाकृत मजबूत है, जिसमें कृष और वाणी का अतीत, उसे भुलाकर उनका प्यार में पड़ना और अपने सपनों की ओर बढ़ना ट्रैक पर रहता है। इस दौरान धुन…, हमसफर…, हो ना जाए प्यार… जैसे सुरीले गाने कहानी को और भी खूबसूरत बनाते हैं।

लेकिन इंटरवल के बाद दूसरा हाफ त्रासदी की ओर बढ़ते ही कहानी थोड़ी डगमगाती हुई नज़र आती है। वाणी की बीमारी और कृष की शोहरत में जितनी तेज़ी से वृद्धि होती है, उस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है। कहानी को किस दिशा में ले जाना है, इसे लेकर कुछ भ्रम की स्थिति भी दिखती है। फिर भी, किरदारों से एक भावनात्मक जुड़ाव बना रहता है, जिसकी एक बड़ी वजह इन नए कलाकारों की अदाकारी है।

अभिनय और संगीत: नए चेहरों का कमाल और मधुर धुनें

डायरेक्टर मोहित सूरी ने अहान पांडे और अनीत पड्डा से अच्छा काम निकलवाया है। अहान की स्क्रीन प्रेजेंस अच्छी है, और कृष के रूप में उनकी एक्टिंग और बॉडी लैंग्वेज भी सराहनीय है। हालांकि, उन्हें अपनी संवाद अदायगी पर और काम करने की ज़रूरत है। वहीं, अनीत पड्डा मासूम वाणी के किरदार में पूरी तरह से जंचती हैं, और उन्होंने मैच्योर अदाकारी की है।

सहायक कलाकारों को फिल्म में ज़्यादा मौका नहीं मिला है, लेकिन फिल्म का संगीत इसका एक बड़ा मजबूत पक्ष है। इस म्यूजिकल फिल्म का टाइटल ट्रैक ‘सैंयारा’ समेत ज़्यादातर गाने बेहद सुरीले हैं, जिन्हें मिथुन, तनिष्क बागची, सचेत-परंपरा समेत आधा दर्जन संगीतकारों ने मिलकर तैयार किया है।

कुल मिलाकर, ‘सैंयारा’ मोहित सूरी के पुराने फैंस को पसंद आ सकती है, जो प्यार, दर्द और मधुर संगीत के उनके सिग्नेचर कॉम्बिनेशन को पसंद करते हैं। अहान और अनीत की ताज़ा केमिस्ट्री फिल्म को देखने लायक बनाती है, भले ही कहानी में कुछ कमियां हों।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments