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कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह से एक मजबूत और सशक्त टीम बन कर उभरी छपरा इप्टा

बिहार इप्टा द्वारा छपरा के दिघवारा में 15-17 सितम्बर को आयोजित कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह के तीनों दिन के कार्यक्रम में छपरा इप्टा नाटक गीत संगीत और नृत्य पर समान पकड़ रखने वाली एक मजबूत और सशक्त टीम बन कर उभरी, कार्यक्रम के चयन, चुस्त निर्देशन, कलाकारों की नैसर्गिक प्रतिभा और जी तोड़ मेहनत से छपरा इप्टा ने इस मुकाम को हासिल किया और आयोजन में शामिल सभी टीमों में एक अलग पहचान कायम की।

छपरा 19 सितम्बर 2024। बिहार इप्टा द्वारा छपरा के दिघवारा में 15-17 सितम्बर को आयोजित कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह के तीनों दिन के कार्यक्रम में छपरा इप्टा नाटक गीत संगीत और नृत्य पर समान पकड़ रखने वाली एक मजबूत और सशक्त टीम बन कर उभरी, कार्यक्रम के चयन, चुस्त निर्देशन, कलाकारों की नैसर्गिक प्रतिभा और जी तोड़ मेहनत से छपरा इप्टा ने इस मुकाम को हासिल किया और आयोजन में शामिल सभी टीमों में एक अलग पहचान कायम कर ली।

छपरा इप्टा की 31 सदस्यीय टीम कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह में शामिल हुई और उद्घाटन, संवाद, कवि गोष्ठी और तीनों दिन के सांस्कृतिक सत्रों में भागीदारी की जिसकी शुरूआत उद्घाटन सत्र में कविवर कन्हैया की गीत ‘फिर नये संघर्ष का न्यौता मिला है’ से रंजीत गिरि, कंचन बाला, लक्ष्मी कुमारी, जीतेन्द्र कुमार राम, रंजीत भोजपुरिया, प्रियंका और प्रिया कुमारी ने गाया और विनय कुमार ने तथा नन्हें आयुष कुमार मान ने झाल से गायकों का बेहतरीन साथ दिया।

दूसरे दिन लोक दृष्टि में कविवर कन्हैया विषय पर कन्हैया जी के साथ सालों काम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी बिपिन बिहारी श्रीवास्तव और सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने संवाद किया तो वहीं समारोह की स्मारिका में प्रो० डॉ० लाल बाबू यादव का संस्मरण छपा। दूसरे दिन के सांस्कृतिक सत्र में कुमारी अनिशा द्वारा कत्थक नृत्य की सधी प्रस्तुति की गई।

समारोह के तीसरे दिन कवि गोष्ठी में बिपिन बिहारी श्रीवास्तव, सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी और कंचन बाला ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

अंतिम दिन के सांस्कृतिक सत्र में की शुरुआत छपरा इप्टा ने अपनी नवीनतम नाट्य प्रस्तुति ‘नौटंकी ऊर्फ कमलनाथ मजदूर’ की शानदार प्रस्तुति से सूबे के रंगकर्म में एक सुनहरा वरक़ जोड़ा और अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित की। बहुचर्चित नाटक “नौटंकी ऊर्फ कमलनाथ मजदूर” के मंचन ने रंगमंच को एक नया उत्कर्ष प्रदान किया और एक अमीट छाप छोड़ी। नौटंकी और बिदेसिया शैली में प्रस्तुत नाटक में बिहारी मजदूरों के पलायन, पलायन की परिस्थितियों, महाजनी सभ्यता के बदले स्वरुपों-शोषण, परदेश उनके शोषण दमन फजीहतों की कारुणिक अभिव्यंजना और अंत में क्रांति के उद्घोष को लोक राग रागिनियों और नौटंकी बिदेसिया शैली में हास्य व्यंग्य में की गयी। बिपिन बिहारी श्रीवास्तव लिखित इस नाटक का संगीत कंचन बाला और निर्देशन डॉ0 अमित रंजन ने किया।

81 साल के लेखक बिपिन बिहारी श्रीवास्तव ने लाबार की भूमिका में अपने अभिनय गायन और नृत्य से न सिर्फ अभिनय का चरमोत्कर्ष पेश किया बल्कि धाकड़ अभिनेताओं को भी अभिनय का पाठ पढ़ा गये। लाबार 2 की भूमिका में रंजीत भोजपुरिया ने कलात्मक उत्कर्ष प्रदान किया‌। सूत्रधार की भूमिका में रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने अपने अभिनय और गायन से नाटक को कलात्मक उत्कर्ष प्रदान किया। नायक कमलनाथ की भूमिका में रंजीत गिरि ने अपने गायन नृत्य और अभिनय से शमां बांधा तो बतौर अभिनेत्री डेब्यू कर रही लक्ष्मी कुमारी अपने स्वाभाविक अभिनय गायन और नृत्य से न सिर्फ रोमांचित किया बल्कि निर्देशक की उपलब्धि साबित हुईं।
किशुन की भूमिका में जीतेन्द्र कुमार राम, खलनायक मैनेजर की भूमिका में शैलेन्द्र कुमार शाही ने श्रेष्ठ अभिनय प्रस्तुत किया। मुख्य समाजी और जज की भूमिका में कंचन बाला पूरे नाटक की धूरी साबित हुईं। अत्याचारी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक की भूमिका में सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी, मुंशीआईन की भूमिका में प्रियंका कुमारी लाल के रुप में आयुष कुमार मान, पिता की भूमिका में जय प्रकाश मांझी, बजरंगी श्रीवास्तव ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। कुमारी अनिशा ने नर्तकी के रुप में नाटक को आरंभ में ही उत्कर्ष प्रदान कर दिया जिसे अभिनेताओं ने अंत तक बरकरार रखा।
नाटक की उपलब्धि इसका रंग संगीत रही, जिसे बड़ी खुबसूरती और दक्षता के साथ कंचन बाला, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, प्रियंका कुमारी, विनय कुमार, प्रिया कुमारी, प्रियंका कुमारी , राम जतन राम (नाल), जंग बहादूर राम (नगाड़ा), रामजी पासवान (झाल) शैलेश कुमार शाही (विविध वाद्ययंत्र) ने उत्कर्ष प्रदान किया। स्वयं निर्देशक अमित रंजन ने नाटक के अंतिम दृश्य में क्रांतिकारी की संक्षिप्त भूमिका में नाटक को चरमोत्कर्ष प्रदान किया।

आयोजन समिति की इच्छानुरूप लगातार दूसरे दिन कुमारी अनिशा द्वारा बेहतरीन कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस सत्र में कंचन बाला, रंजीत गिरि, लक्ष्मी कुमारी, जीतेन्द्र कुमार राम, रंजीत भोजपुरिया, प्रियंका कुमारी, प्रियंका ने जन गीतों की प्रस्तुति की। कंचन बाला के मुख्य स्वर में कहब त लाग जाई धक से, रंजीत गिरि के मुख्य स्वर में जनता के आवे पलटनिया हिलेला झकझोर दुनिया और केकरा केकरा नाम बताऊं इस जग में बड़ा लूटेरवा हो की लाजबाब प्रस्तुति की गयी। लक्ष्मी कुमारी ने अबहीं उमिर लड़कईयाँ हो, कंचन बाला ने फैज अहमद फैज की नज्म देश के देश उजाड़ हुए हैं, प्रियंका कुमारी ने डगरिया जोहत ना, जीतेन्द्र कुमार राम ने निर्गुण की सधी शानदार प्रस्तुतियां कीं। समारोह का समापन करते हुए तमाम शाखाओं के साथ हम होंगे कामयाब गाया।

2008 से शुरु हुई छपरा इप्टा की नई पारी में अमित रंजन के सचिवकत्व और निर्देशन में शाखा ने नाटक में बहुत जल्द अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित कर पंच परमेश्वर (5 प्रस्तुति), बेटी बेचवा (32 प्रस्तुति), बिदेशिया (10 प्रस्तुति), धरातल (1 प्रस्तुति), गबरघिचोर (1 प्रस्तुति) वूमेन थियेटर की बेटी आई है, चिल्ड्रेन थियेटर की अंधेर नगरी, हमको नहीं शरम, कुंभकर्ण, और नौटंकी ऊर्फ कमलनाथ मजदुर (2 प्रस्तुति) के साथ साथ रंगभूमि दर्जनों रंगभूमि नाटकों से अपनी श्रेष्ठता विभिन्न मंचों पर प्रमाणित की है। नाटकों के बाद गीत संगीत पर साधना शुरु हुई और छपरा इप्टा बैंड ने बहुत जल्द अपने आपको संगीत की भी एक सशक्त टीम साबित कर लिया समय के साथ कंचन बाला की शिष्याओं द्वारा बेहतरीन यादगार नृत्य प्रदर्शन भी मंचों का हिस्सा बना पर इस वर्ष कुमारी अनिशा के शाखा से जुड़ने के बाद छपरा इप्टा ने नृत्य में भी अपनी श्रेष्ठता का हासिल कर ली।

कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह के बाद छपरा शाखा एक हर तरह से मजबूत और सशक्त टीम के रुप में खुद को स्थापित कर चुकी है।

छपरा इप्टा के सचिव डॉ० अमित रंजन छपरा इप्टा के जनसांस्कृतिक आंदोलन में समय समय पर किसी भी रुप में अपनी भागीदारी देने वाले तमाम कलाकारों और रंगकर्मियों के साथ साथ कविवर कन्हैया जन्मशती समारोह में साथ देने वाले सभी कलाकारों, संस्कृति कर्मियों और रंगकर्मियों तथा राष्ट्रीय और बिहार इप्टा के तमाम के प्रति आभार व्यक्त किया है।

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