आज से देश भर में लागू हो गये ब्रिटिशकालीन कानूनों की जगह तीन नये आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)और भारत साक्ष्य अधिनियम (BSA)। पूर्व तैयारी के तहत् केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ नियमित बैठकें की हैं और वे इन कानूनों को लागू करने के लिए प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण तथा जागरूकता उत्पन्न करने के लिये पूरी तरह से तैयार हैं। नये कानूनों में क्या खास हैं, इस पर newsfact.in ने कल सारण एसपी डॉ० कुमार आशीष का एक सारगर्भित लेख प्रकाशित किया था, आईए जानते है नये कानूनों की खास बातें-
डॉ0 कुमार आशीष, एसपी सारण
डिजिटल FIR Notice Summon-
नए कानुन में डिजिटल तौर पर प्राथमिकी, नोटिस, सम्मन, ट्रायल, रिकॉर्ड, फॉरेंसिक, केस डायरी एवं बयान आदि को संग्रहित किया जाएगा। तलाशी और जप्ती के दौरान वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी के लिए जिला पुलिस के सभी अनुसंधानकर्ताओं को लॅपटॉप और मोबाईल उपलब्ध कराये जायेंगे। प्रत्येक थानों को नए उपकरणों के साथ आधुनिकीकरण करते हुये हर थाने में वर्क स्टेशन, डाटा सेंटर, अनुसंधान हॉल, रिकॉर्ड रूम एवं पुछताछ कक्ष का जल्द ही निर्माण होगा।
नागरिक केन्द्रित-
नए अपराधिक कानुन को नागरिक केन्द्रित बनाने की दिशा में पहल करते हुये पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिकी की निःशूल्क प्रति उपलब्ध कराने, कहीं से भी प्राथमिकी दर्ज कराने, पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जॉंच की प्रगति के बारे मे सूचना उपलब्ध कराने, महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जॉंच कराकर चिकित्सक द्वारा 07 दिन के अंदर उसका मेडिकल रिपोर्ट भेजने एवं कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान किया गया है तथा अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानुनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
टेक्नोलॉजी पर जोर-
न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी पर जोर देते हुये क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रूपांतरण किया गया है, जिसमें ई-सम्मन, ई-नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करने, ई-ट्रॉयल आदि शामिल है। पीड़ित व्यक्ति ई-बयान दे सकते है एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए e-Appearance की शुरूआत की गई है। इस कानुन के अनुसार तलाशी और जप्ती की वीडियोग्राफी की जाएगी।
महिला और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए 37 धाराएँ-
महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नए अपराधिक कानुनों में 37 धाराओं को शामिल करते हुये पीड़ित और अपराधी दोनो के संदर्भ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामुहिक बलात्कार होने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्यूदंड की सजा का प्रावधान किया गया है एवं झुठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण किये जाने को अपराधिक कृत्य के रूप मे परिभाषित किया गया है। चिकित्सकों के लिए अब 07 दिनों के अंदर बलात्कार पीड़िता का मेडिकल रिपार्ट देना अनिवार्य हो जाएगा।
अपराध और दण्ड की नई परिभाषा-
अपराध एवं दंड को नए तरीके से परिभाषित करते हुये छीनाझपटी को गंभीर एवं गैर-जमानती अपराध बनाया गया है एवं अब देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने हेतु किये गये कृत्यों को आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी तथा मॉब लिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्यूदंड की सजा मिलेगी।
त्वरित न्याय-
त्वरित न्याय के लिए तय समय सीमा के अंदर न्याय दिलाने हेतु भारतीय न्याय संहिता में 45 धाराओं को जोड़ा गया है। किसी भी मामले पर पहली सुनवाई शुरू होने के 60 दिनों के अंदर आरोप तय किये जायेंगे एवं आरोप तय होने के 90 दिन बाद घोषित अपराधियों की अनुपस्थिति में भी कानूनी कार्यवाही शुरू हो जायेगी।
आज से लागु होने वाले तीन नए अपराधिक कानून में हुए महत्वपूर्ण बदलाव एवं कानुनी अधिकार से नागरिकों को अवगत कराने हेतु आज सभी थाना क्षेत्रों मे जागरूकता कैम्प का आयोजन।
(Photo Curtsey: newsonair.gov.in)