छपरा, 25 जून। आगामी 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर 27 जून से 10 जुलाई तक सामुदायिक उत्प्रेरण पखवाड़ा जबकि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के आयोजन को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत द्वारा बिहार के सभी जिलाधिकारी सह जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष के अलावा सभी सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा है कि परिवार नियोजन सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण अवांछित गर्भधारण में किसी भी वृद्धि का मातृ मृत्यु दर एवं नवजात स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि मुख्य रूप से आधुनिक, लघु एवं लंबे समय तक काम करने वाले प्रतिवर्ती गर्भ निरोधक, आपातकालीन गर्भनिरोधक सहित स्थायी उपाय एवं परामर्श सेवाएं पर ध्यान केंद्रित किया जाना है।
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की सचिव अपूर्व चंद्रा ने परिवार नियोजन से संबंधित विभिन्न चरणों में तरह – तरह के कार्यक्रमों का आयोजन यथा- प्रारंभिक चरण से लेकर कार्यक्रम की समाप्ति तक के लिए पत्र जारी की है। साथ ही कार्यक्रम की शत—प्रतिशत सफलता को लेकर विशेष रूप से कार्य करने के लिए रूप रेखा तैयार करने की बात कही गई हैं। आगामी 27 जुन 2024 से सामुदायिक स्तर पर उत्प्रेरण पखवाड़ा एवं 11 जुलाई 2024 से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन करने के लिए इस वर्ष “विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान” जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का थीम दिया गया है।
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि विश्व जनसंख्या दिवस प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन चरणों में जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इसके लिए का राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक द्वारा आवश्यक दिशा— निर्देश देते हुए निर्धारित भी कर गया है। जिसमें 01 जून से 20 जून तक प्रारंभिक चरण, 27 जून से 10 जुलाई तक समुदायिक उत्प्रेरक पखवाड़ा जबकि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा पूरे जिले में लोगों के बीच जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना, परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाना तथा योग्य दंपत्तियों को इच्छुक सेवा प्रदान करना है।
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक (डीसीएम) ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जनसंख्या स्थिरीकरण की आवश्यकता सही उम्र में शादी, पहले बच्चे में देरी, बच्चों के बीच सही अंतर रखना तथा छोटा परिवार के लाभ के बारे में आमजनो के बीच चर्चा करते हुए मां और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर करने तथा गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने के लिए अनिवार्य रूप से उचित परामर्श देना है। जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े के दौरान ग्रामीणों को परिवार नियोजन सेवाओं के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएं जैसे- कॉपर टी, गर्भनिरोधक सुई एवं गोलियां, बंध्याकरण और नसबंदी की सेवा प्रदान करने का विशेष रूप से ध्यान रखने का आवश्यक निर्देश दिया गया है। जिले के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक महीने 21 तारिक को परिवार नियोजन दिवस (पीएनडी) मनाया जाता है।