एस्टोनिया की फिल्म ‘सॉर मिल्क’ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा के लिए सिल्वर कोंच जीता
पोलैंड की फिल्म ‘जिमा’ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय एनिमेशन के लिए सिल्वर कोंच जीता
‘6-ए आकाश गंगा’ को सर्वश्रेष्ठ भारतीय वृत्तचित्र फिल्म के लिए सिल्वर कोंच मिला
18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में अपनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों, फिल्म निर्माताओं और तकनीशियनों के लिए बहुप्रतीक्षित पुरस्कार दिए गये जिन्होंने अपनी बेहतरीन कृतियों से दर्शकों और निर्णायक मंडल दोनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म ‘द गोल्डन थ्रेड’ ने एमआईएफएफ 2024 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन कोंच पुरस्कार जीता। यह फिल्म औद्योगिक क्रांति के अंतिम अवशेषों पर आर्थिक बदलाव की ताकतों के प्रभाव के प्रति श्रद्धांजलि और टिप्पणी दोनों है। दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े फिल्म महोत्सव में नॉन-फिक्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के रूप में चुनी गई यह फिल्म न केवल मनुष्य और मशीन के बीच के रिश्ते को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि पूंजीवाद मनुष्य को केवल उसके श्रम के बराबर कैसे मानता है।
शीर्ष पुरस्कार की घोषणा करते हुए निर्णायक मंडल ने कहा, “फिल्म में दर्शाई गई शानदार कल्पना और ध्वनि एक सुंदर कहानी गढ़ती है जो हमें याद दिलाती है कि क्यों वृत्तचित्र अभी भी एक आकर्षक कला का रूप है।” पुरस्कार में एक स्वर्ण शंख (गोल्डन कोंच), प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा फिल्म: ‘सॉर मिल्क’ (एस्टोनिया)
एस्टोनिया की वेरा पिरोगोवा द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘सॉर मिल्क’ को सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा फिल्म (शॉर्ट फिक्शन फिल्म) का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार में रजत शंख (सिल्वर कोंच) और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
सॉर मिल्क ने मां और बेटे के बीच के जटिल बंधन को बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया है, जो उम्मीद और निराशा से भरपूर एक कहानी है। फिल्म का सूक्ष्म और फिर भी कुशल निर्देशन दर्शकों को पारिवारिक संघर्ष और विकास की एक बेहतरीन कहानी के माध्यम से मार्गदर्शन करता है, जहां अनकही भावनाएं यात्रा को एक आकार देती हैं। यह फिल्म दर्शाती है कि एक मां और बेटे के बीच के असली बंधन भी कभी-कभी दूध की तरह फट सकते हैं।
सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय एनिमेशन फिल्म: ‘जिमा’ (पोलैंड)
टोमेक पोपाकुल, कासुमी ओजेकी द्वारा निर्देशित पोलैंड की फिल्म ‘जिमा’ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय एनिमेशन फिल्म का पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार में रजत शंख और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
फिल्म में एक मछली पकड़ने वालों के गांव को दिखाया गया है, जहां हिंसा और गर्मजोशी दोनों है, क्योंकि मनुष्य और जानवर दोनों ही अपनी तरह के लोगों के साथ सह-अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हैं, जो एक जोशीले और साहसी लोगों की एनिमेटेड कहानी है। इसमें एक समान व्यवहार (मोनोक्रोमैटिक ट्रीटमेंट) की सादगी एक जादुई, प्रायः भावपूर्ण गहरे रंग की अंतर्निहित दृश्य कथा है जिसमें रंग का एक मौन के समान होता है, दर्द के साथ-साथ शर्म के होने के संकेत भी दिखते हैं, कुल मिलाकर यह एक निराशाजनक लेकिन रोमांचकारी कहानी है, जैसे कि यह किसी अज्ञात शीत भूमि की लोककथा हो।
सबसे नवीन/प्रयोगात्मक फिल्म के लिए “प्रमोद पति पुरस्कार” (केवल निर्देशक के लिए): ‘द ओल्ड यंग क्रो’ (जापान)
जापान के लियाम लोपिंटो द्वारा निर्देशित ‘द ओल्ड यंग क्रो’ ने सबसे नवीन/प्रयोगात्मक फिल्म के लिए “प्रमोद पति पुरस्कार” जीता है। इस पुरस्कार में ट्रॉफी और 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
‘द यंग ओल्ड क्रो’ कई द्वंद्वों की एक आविष्कारशील, जादुई कहानी है, जिसमें भाषाओं, संस्कृतियों, पीढ़ियों, जीवित और मृत लोगों, यहां तक कि एनीमेशन और लाइव एक्शन फिल्म के माध्यमों द्वारा परिभाषित दो दुनिया नजर आती हैं। यह रचनात्मक बहुरूपदर्शक होने के साथ-साथ जटिल परतों के भीतर पुरानी यादों, परिवार, हानि, अलगाव और मृत्यु को शामिल करते हुए भावनात्मक बनावट की एक उत्कृष्ट कृति को शामिल करने में भी कामयाब होती है।
विशेष जूरी उल्लेख: ‘लवली जैक्सन‘ (संयुक्त राज्य अमेरिका)
मैट वाल्डेक द्वारा निर्देशित ‘लवली जैक्सन’ ने स्पेशल जूरी मेंशन पुरस्कार जीता है।
लवली जैक्सन’ टूटे सपनों, क्षमा और एक मां के प्यार की एक दिलचस्प कहानी है, लेकिन अंततः यह दिखाया गया है कि कैसे मानवीय भावना भारी अन्याय के सामने साहस और लचीलापन बनाए रख सकती है, कैसे एक आदमी अपनी असहनीय परिस्थितियों से ऊपर उठ सकता है और न केवल सबसे बुरे हालात का सामना करने की ताकत पा सकता है, बल्कि दूसरों के लिए आशा और मुक्ति की किरण बन सकता है। जूरी न केवल फिल्म की आध्यात्मिकता से बल्कि इस आकर्षक कहानी को बताने के लिए इस्तेमाल की गई असामान्य रूप से रचनात्मक तकनीकों से भी प्रभावित हुई।
सर्वश्रेष्ठ भारतीय वृत्तचित्र फिल्म: 6-ए आकाश गंगा
निर्मल चंद्र डंडरियाल द्वारा निर्देशित ‘6-ए आकाश गंगा’ ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फिल्म (60 मिनट से अधिक) के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार जीता। पुरस्कार में रजत शंख (सिल्वर कोंच) और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
यह फिल्म एक आकर्षक अंतरंग वृत्तचित्र है जिसमें एक अदृश्य नायक है जो आपको सम्मोहित करके महान संगीतकार अन्नपूर्णा देवी की एकांतप्रिय और संरक्षित दुनिया में ले जाता है। उनकी चमक और प्रतिभा छिपी रह जाती अगर बांसुरी वादक नित्यानंद हल्दीपुर द्वारा इस अंतरंग कहानी को नहीं सुनाया जाता। नित्यानंद हल्दीपुर इस महान संगीतकार के शिष्य और द्वारपाल थे। वह हमें एक प्रसिद्ध प्रतिभाशाली संगीतकार, गुरु, महिला और पत्नी की आकर्षक कहानी बताते हुए कदम दर कदम अपनी दुनिया में ले जाता है, जिसकी कलात्मक और व्यक्तिगत जिंदगी ने बार-बार अप्रत्याशित मोड़ लिए, जिससे कोई भी व्यक्ति विस्मय में पड़ जाता है और खासा प्रभावित होता है।
सर्वश्रेष्ठ भारतीय लघु कथा फिल्म (30 मिनट तक): साल्ट
बरखा प्रशांत नाइक द्वारा निर्देशित ‘साल्ट’ को राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में सर्वश्रेष्ठ भारतीय लघु कथा फिल्म (30 मिनट तक) के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार में रजत शंख और 3 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
एक मार्मिक और खूबसूरती से गढ़ी गई पिता-पुत्र की कहानी जो मां से वंचित एक परिवार में तनाव और खामोश दुःख की तस्वीर खींचती है और कुछ मूल और बड़ी मुश्किलें आने की स्थिति में एक-दूसरे के दुःख को स्वीकार करना सीखने की प्रक्रिया को दर्शाती है। सिर्फ़ 11 मिनट में, बरखा एक असामान्य और नए तरीके से कामुकता की कोमल अंतर-पीढ़ीगत समझ को तलाशने में कामयाब हो जाती है क्योंकि यह जोड़ी जीवन में आगे बढ़ना सीखती है।
सर्वश्रेष्ठ भारतीय एनिमेशन फिल्म: निर्जरा
गौरव पति द्वारा निर्देशित ‘निर्जरा’ ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में सर्वश्रेष्ठ भारतीय एनिमेशन फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार में एक रजत शंख और 3 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
निर्जरा एक सुंदर ढंग से लिखी गई, संक्षिप्त और काव्यात्मक कहानी है कि कैसे दो भाई गंगा के घाटों पर अनुष्ठान करते हुए और अपनी मां की मृत्यु के दुख को भावनात्मक रूप से संभालते हुए फिर से एक हो जाते हैं। यह वास्तव में असाधारण है कि कैसे यह अच्छी तरह से लिखी गई और केवल 7 मिनट में पूरी की गई नाटकीयता हमें एक छोटे और उसके बड़े भाई के बीच के सूक्ष्म संबंधों पर विचार करने की अनुमति देती है। यह एक ऐसी भावनात्मक प्रतिध्वनि है, जिसकी खोज शायद ही भारतीय एनिमेशन में हुई हो।
विशेष जूरी उल्लेख (स्पेशल जूरी मेंशन): ए कोकोनट ट्री
जोशी बेनेडिक्ट द्वारा निर्देशित ‘ए कोकोनट ट्री’ को मिला स्पेशल जूरी मेंशन
इस स्पेशल मेंशन के साथ जूरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यह आश्चर्यजनक रूप से सुंदर एनीमेशन शॉर्ट फिल्म पलायन और जलवायु परिवर्तन के गंभीर और जरूरी विषय पर बात करती है। पीले और काले रंग के रंगीन स्केप और ब्लीडिंग फ्रेम एक संपूर्ण कथा को उकेरते हैं जो जरूरी और मौलिक है; कहानी कहने के लिहाज से यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।