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राज्य सरकार ने दशहरा महोत्सगव एवं आने वाली त्योहरों के मद्देनजर मनरेगा प्रथम भाग के तीसरे किस्त की राशि जारी

राज्य सरकार ने दशहरा महोत्सगव एवं आने वाली त्योहरों के मद्देनजर दिनांक- 08 अक्‍टूबर, 2024 को महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम(मनरेगा) के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत सरकार ने प्रथम भाग के तीसरे किस्त के रूप में सामग्री मद एवं प्रशासनिक मद में कुल 79082.25 लाख (सात अरब नब्बे करोड़ पचासी लाख सत्ताईस हजार) रूपये की राशि जारी किया साथ हीं एन आर एल एम/आजीविका (NRLM/Ajeevika) योजना के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत सरकार ने प्रथम किस्त के द्धितीय भाग के रूप में कुल 52282.62 लाख (पांच अरब बाईस करोड़ बेरासी लाख बासठ हजार) रूपये का राशि बिहार सरकार ने जारी किया।

बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने केन्द्र सरकार से प्राप्त होने पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए तृतीय किस्त के रूप में कुल केन्द्रांश सात अरब नब्बे करोड़ पचासी लाख सत्ताईस हजार रूपये राज्य के सभी जिलों के लिए बिहार सरकार ने आने वाली त्योकहारों के मददेनजर बजट जारी किया।

इस योजना का मुख्य उद्देश्यस आजीविका सुरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ-साथ टिकाऊ परिसम्पति का सृजन कर ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है। योजना अंतर्गत प्रत्येक परिवार के इच्छुक वयस्क सदस्यों द्वारा काम मांगने पर एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का अकुशल मजदूरी दिये जाने का प्रावधान है। योजनान्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा मजदूरी मद में राज्य के अकुशल श्रमिकों हेतु निधार्रित मजदूरी दर के अनुरूप व्यय राशि का शत-प्रतिशत तथा सामग्री मद में निर्धारित सीमा के अधीन 75 प्रतिशत राशि का वहन केन्द्र सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत राशि का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाना है। ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री, श्रवण कुमार ने आगे बताया कि विभागीय पदाधिकारी को निदेशित किया है कि योजना की लगातार समीक्षा कर संचालित मनरेगा योजनाओं को ससमय पूरा किया जाय। इस योजना में किसी भी तरह की शिथिलता बर्दाश्ती नहीं की जाएगी।

श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग ने अंत में यह भी कहा कि यह योजना बिहार के ग्रामीण जनता को रोजगार मुहैया कराने का प्रमुख साधन है। इसी संबंध में मंत्री ने सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को निदेश दिया है कि दशहरा महोत्सरव एवं आने वाली प्रमुख त्योधहारों को देखते हुए विशेष तैयारी करते हुए जॉब कार्ड बनाने हेतु इच्छुक लोगों से आवेदन प्राप्त कर निर्धारित समय सीमा के अंदर जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जाय एवं ससमय मजदूरों को रोजगार दिया जाय ताकि योजना तीव्र गति से पूरा हो सके साथ हीं श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा योजना के साथ हीं जीविका योजना के लिए भी बिहार के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में संचालित जीविका के हजारों स्वयं सहायता समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में द्वितीय किस्त के रूप में 52282.62 लाख (पांच अरब बाईस करोड़ बेरासी लाख बासठ हजार) रूपये का राशि जारी किया है। यह राशि स्वयं सहायता समूहों को चक्रीय निधि एवं सामुदायिक निवेश निधि के तहत प्रदान की जाएगी जिसका उपयोग समूह सदस्यों द्वारा कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, लघु उद्योग, और अन्य जीविकोपार्जन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही, इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी। विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनके उत्पादों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।

मंत्री श्रवण कुमार ने इससे यह भी बताया कि बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ग्रामीण समुदाय को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त करने के निरंतर कार्य कर रही है । इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए “जीविका” के अंतर्गत संचालित स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और सामुदायिक संस्थानों को वित्तीय सहायता के रूप में महत्वपूर्ण धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है। यह राशि राज्य के विभिन्न जिलों में जीविकोपार्जन गतिविधियों को बढ़ावा देने, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का सृजन करने और महिला सशक्तिकरण को और मजबूती देने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार इससे आगे यह भी बताया कि बिहार के लोकप्रिय मुख्य्मंत्री नीतीश कुमार के द्वारा शुरू किया गया जीविका एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को संगठित कर उन्हें सशक्त करना और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना है। जीविका के तहत, विभिन्न जिलों में 10 करोड 63 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है जिससे 1 करोड़ 34 लाख से अधिक महिलाएँ जुड़ी हैं। लगभग 6 हज़ार स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ बैंक सखी बनकर ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय सुविधाएँ मुहैया करा रही है। समूहों के माध्यम से महिलाएं ना केवल आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं, बल्कि सामुदायिक विकास में भी सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। इस वित्तीय सहायता के परिणामस्वरूप, राज्य के विभिन्न जिलों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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