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बिहार की लोक संस्कृति के स्वर शारदा सिन्हा का निधन अपूरणीय क्षति: तनवीर अख़्तर

इप्टा की राष्ट्रीय समिति ने बिहार की लोक संस्कृति की पहचान और लोकगीतों के माध्यम से आम आवाम के बीच बिहार की विशिष्ट पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। शारदा सिन्हा का निधन लोक संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है।

पटना/06 नवम्बर 2024। इप्टा की राष्ट्रीय समिति ने बिहार की लोक संस्कृति की पहचान और लोकगीतों के माध्यम से आम आवाम के बीच बिहार की विशिष्ट पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। शारदा सिन्हा का निधन लोक संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है।

राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख़्तर ने एक शोक संदेश के हवाले से बताया कि लोक गायिका बीते 7 सालों से मल्टीपल मायलोमा (एक तरह का ब्लड कैंसर) से जूझ रही थीं। पद्मश्री, पद्म भूषण से सम्मानित 72 वर्षीय शारदा सिन्हा मैथिली और भोजपुरी गानों के लिए जानी जाती हैं। उनके चर्चित गानों में ‘विवाह गीत’ और ‘छठ गीत’ शामिल हैं। लोक संगीत में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने कभी भी लोक संगीत को सस्ते मनोरंजन का साधन नहीं बनाया। अपने स्वर को बाज़ार की अश्लीलता से काफी दूर रखा। लोक संगीत के क्षेत्र में शारदा सिन्हा ने अपनी पहचान को ना सिर्फ बनाए बल्कि नारी शक्ति का मिसाल बनने का गौरव भी हासिल किया।

शारदा सिन्हा के निधन से इप्टा परिवार दुःखी और मर्माहत है। विंध्यवासिनी देवी के बाद लोक संगीत की जिस परंपरा को शारदा सिन्हा ने पाला पोसा उसे संरक्षित और विकसित बनाए रखना चुनौती होगी।

शारदा सिन्हा ने अपने पति के निधन के कुछ ही दिन बाद इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 22 सितंबर को उनके पति का निधन हुआ था।

शारदा सिन्हा सिर्फ़ बिहार नहीं, लोक संगीत गीतों में रूचि रखने वाले देश दुनिया के करोड़ों लोगों के जहन में ज़िन्दा रहेंगी और अपने सुमधुर कोकिल स्वर के प्रेरणा की स्रोत बनी रहेंगी।

इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, तमाम पद धारकों और सदस्यों ने लोक गायिका के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

 

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