बुधवार, नवम्बर 29, 2023

जीवंत है पुरखों द्वारा शुरु की गई घुड़दौड़ की ऐतिहासिक परम्परा, गणतंत्र दिवस पर बिहारशरीफ में होता है आयोजन

जहाँ एक ओर सूबे में घुड़दौड़ प्रतियोगिता विलुप्त होती जा रही है, वहीं बिहारशरीफ प्रखंड के ऊपरावा गांव के ग्रामीणों के द्वारा विलुप्त हो रहे घुड़दौड़ प्रतियोगिता को जीवित करने के लिए हर साल 26 जनवरी के दिन बड़े पैमाने पर घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस बार भी 26 जनवरी के दिन घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन ऊपरावा गांव के मैदान में किया जाएगा

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नालंदा: जहाँ एक ओर सूबे में घुड़दौड़ प्रतियोगिता विलुप्त होती जा रही है, वहीं बिहारशरीफ प्रखंड के ऊपरावा गांव के ग्रामीणों के द्वारा विलुप्त हो रहे घुड़दौड़ प्रतियोगिता को जीवित करने के लिए हर साल 26 जनवरी के दिन बड़े पैमाने पर घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस बार भी 26 जनवरी के दिन घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन ऊपरावा गांव के मैदान में किया जाएगा।

घुड़दौड़ प्रतियोगिता के आयोजनकर्ता लोभी यादव ने बताया कि यह घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन इस गांव में पुरखों के जमाने से किया जा रहा है। इस घुड़दौड़ प्रतियोगिता में नालंदा जिले के अलावे बिहार राज्य के कोने-कोने के घुड़सवार भाग लेते हैं। इस प्रतियोगिता को लेकर अभी से ही नालंदा जिले के कोने कोने से घुड़सवारों का आना शुरू हो गया है और इस मैदान में अपने अपने ट्रायल को देना शुरू कर दिया है।

ग्रामीणों ने बताया कि इस दौड़ दौड़ प्रतियोगिता का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ विलुप्त हो रहे घुड़दौड़ को बढ़ावा देना है इस घुड़दौर प्रतियोगिता में फर्स्ट सेकंड और थर्ड घुड़सवार को इनाम भी दिया जाता है।

घुड़दौड़ का एक लंबा और विशिष्ट इतिहास है और प्राचीन काल से दुनिया भर की सभ्यताओं में इसका उल्लेख पाया जाता रहा है। पुरातात्विक रिकॉर्ड बताते हैं कि घुड़दौड़ प्राचीन ग्रीस , प्राचीन रोम , बेबीलोन , सीरिया और मिस्र में हुई थी।

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